सावन के महीने में अबतक रोडवेज इलाहाबाद को 30 लाख का घाटा

संक्षेप:

  • चल रहा सावन का महीना
  • इलाहाबाद रोडवेज को दो लाख रुपये प्रतिदिन हो रहा का घाटा
  • 52 सीट वाली बसों में बैठ रही 19 से 22 तक सवारियां

 

 

इलाहाबाद: सावन का महीना चल रहा है। इस महीने ने इलाहाबाद रोडवेज की कमर तोड़ रहा है। बीते 15 दिनों के सावन में अब तक उसे लगभग 30 लाख रुपये का घाटा हो चुका है।

अमावस्या के दिन रोडवेज ने अपने हर रोज के घाटे का मूल्यांकन किया तो लगभग दो लाख रुपये प्रतिदिन का घाटा सामने आया। गोरखपुर, जौनपुर, आजमगढ़ रूट तो फिर भी सामान्य हैं सबसे ज्यादा कमर तोड़ रहा है बनारस मार्ग।

इलाहाबाद-वाराणसी मार्ग पर रोजाना जो बस दो फेरा पूरा किया करती थी वो आज की तारीख में महज एक चक्कर काट रही है। 52 सीट वाली बसों में 19 से 22 तक सवारियां बैठ रही हैं। ऐसे में सवारियों का टोटा तो हो ही गया है इसके साथ ही बसों के पूरे फेरे न होने का नुकसान होता है।

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रोडवेज के आंकड़ों के अनुसार एक बस एक फेरे में लगभग छह हजार के आसपास आय करती है। सबसे ज्यादा नुकसान समय के कारण हो रहा है। बदले रूट से चलने के कारण बसें ढाई के बजाय छह से आठ घंटे तक का समय ले रही हैं। खुद रोडवेज अफसर और कर्मचारियों ने टाला सफररोडवेज के कुछ अफसर और कर्मचारी ऐसे हैं जो वाराणसी के रहने वाले हैं।

ये लोग पहले हर रोज अप-डाउन कर नौकरी कर रहे थे। सावन महीने में बसों के हालात देखकर उन लोगों ने एक महीने के लिए घर जाना छोड़ दिया। अब ये लोग रक्षा बंधन पर सीधे चार दिन के अवकाश पर वाराणसी जाएंगे। शनिवार से सोमवार को सबसे ज्यादा नुकसानसबसे ज्यादा घाटा शनिवार से सोमवार के बीच होता है।

रोडवेज के आरएम डॉ. हरीश चंद्र यादव का कहना है कि हफ्ते में अगर 14 लाख का घाटा होता है तो इन तीन दिनों में अकेले सात से आठ लाख रुपये का घाटा हो जाता है। जाम के कारण तो कई बसें इन तीन दिनों में एक ट्रिप भी नहीं कर पाती हैं। वर्जन वाराणसी रूट पर रोजाना लगभग दो लाख रुपये का घाटा हो रहा है। बसों का ट्रिप बहुत कम हो गया है। इसके साथ ही बसों की संख्या और सवारियों की संख्या में कमी आई है। रूट खोलने के लिए प्रशासन से आग्रह किया गया है। अगर ऐसा हो जाए तो कम से कम मंगलवार से शुक्रवार के बीच ही कुछ घाटा पाटा जा सकता है।

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