पढ़िए 10वीं में फेल होने वाले बॉलीवुड एक्टर अरुण सिंह की कहानी

संक्षेप:

  • अभिनेता अरुण सिंह पहुंचे हुए हैं इलाहाबाद
  • कई बड़ी फिल्मों में कर चुके हैं काम
  • 10वीं में फेल हो गए थे फेल

 

इलाहाबाद: बॉलीवुड अभिनेता अरुण सिंह अपनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म की शूटिंग के लिए इलाहाबाद आए हुए हैं। अरुण बॉलीवुड समेत हॉलीवुड और भोजपुरी फिल्मों में भी काम कर चुके हैं। अरुण को एक्टर देवानंद ने अपनी फिल्म सेंसर में पहला चांस दिया था। जिसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं दिख और तब से लेकर अबतक लगभग हर बड़े अभिनेता के साथ फिल्मों में काम कर चुके हैं। अरुण सिंह का जन्म 1971 में इलाहाबाद के न्यू सोहबतिया बाग इलाके में हुआ था। इनके पिता का नाम स्व. शिव कुमार सिंह है। इनकी पढ़ाई-लिखाई भी इलाहाबाद में ही हुई।

अरुण ने का कहना है कि उनका पढ़ने में मन नहीं लगता था। बचपन से ही फिल्मों का बड़ा शौक था। एग्जाम के वक्त भी फिल्म देखने जाया करता था, जिस वजह से 10वीं में फेल हो गया और पढ़ाई बंद हो गई। बचपन में ही अमिताभ की फिल्मों का जादू सर चढ़कर बोलने लगा था। इस वजह से अमिताभ की तरह ही हेयर स्टाइल और उन्हीं की तरह डायलॉग डिलीवरी करना शुरु कर दिया।

उन्होंने कहा कि सामान्य फैमिली से होने की वजह से खुलकर शौक पूरा नहीं कर पा रहे थे। पढ़ाई छुटने के बाद काम की तलाश करने लगा, लेकिन कम पढ़े-लिखे होने की वजह से कहीं ढंग का काम नहीं मिल रहा था। फिर एक ठेकेदार के यहां काम सीखा और ठेकेदारी करने लगे। उसी दौरान राजश्री प्रोडक्शन वाले अपनी फिल्म बाबुल की शूटिंग के लिए इलाहाबाद आए हुए थे। शूटिंग देखने के लिए पाबंदी के बावजूद भी अंदर घुस गया। तभी सिक्योरिटी गार्ड ने मुझे वहां से भगाने के लिए डंडा चला दिया और वहां से भाग जाने को कहा। उसी दिन कसम खाया और उस सिक्योरिटी गार्ड से कहा कि 1 दिन मैं भी बड़े पर्दे पर आके रहूंगा। इसके बाद अपनी कसम को पूरा करने के लिए मैं कोशिश में लग गया।

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उस समय इलाहाबाद के बाल भवन(स्वराज भवन) मे अभिनय सिखाया जाता था। जहां मैंने ज्वाइन किया और एक्टिंग को गुण सीखना शुरु कर दिया। 3 साल तक वहां सीखता रहा और सीखने के बाद प्ले करने लगा। नाटकों में अभिनय करने का कोई पैसा नहीं मिलता था और घर चलाना रहता था। इसलिए एक्टिंग के साथ-साथ ठेकेदारी भी करता था। लेकिन धीरे-धीरे नाटक में ज्यादा वक्त देने की वजह से ठेकेदारी में नुकसान होने लगा और रोजी रोटी का सवाल उठने लगा था।

अरुण का कहना है कि पेपरों में पढ़ा करता था की कई अभिनेता दिल्ली में अभिनय करके मुंबई पहुंचे जाते थे। इसलिए मैं भी इलाहाबाद छोड़कर दिल्ली आ गया और दूर के पहचान वाले के पास लक्ष्मीनगर बस स्टॉप के पास रहने लगा। एक दिन मैं बस स्टॉप पर ही सोया था कि कहीं से उड़ता हुआ एक पेपर आया, `उसमें लिखा था सांग एंड ड्रामा डिवीज़न के लिए कलाकार चाहिए` और उसके लिए 3000 रुपए मिलेगा। फिर क्या था किस्मत आजमाने मैं भी पहुंच गया। ऑडिशन में एक से बढ़कर एक लोग आए थे। मैंने सोचा कि मेरा तो होने से रहा इसलिए में मन ही मन अपने सवालों का जवाब देता रहा। इसके बाद ऑडिशन दिया लेकिन जजेस को पता नहीं मेरी कौन सी बात पसंद आ गई और मुझे सिलेक्ट कर लिया।ड्रामा में काम के करने पर मुझे 3000 रुपए मिले।

इसके बाद मैं दिल्ली में ही रहने लगा और नुक्कड़ नाटकों में काम करने लगा। खर्चे निकालने के लिए कमर्शियल नुक्कड़ नाटकों में भी अभिनय करता था। दिल्ली में दूरदर्शन के लिए बन रहे डाक अंशु सीरियल में काम करने का पहला मौका मिला। उसमें मुझे तांत्रिक का रोल प्ले करना था। इस सीरियल के डायरेक्टर अरविंद स्वामी थे। सीरियल की शूटिंग के लिए हम लोग झाबुआ गए हुए थे। शूट के बाद शॉट ओके होने पर डायरेक्टर अरविंद स्वामी ने मुझे अपना पास बुलाया और कहा कि तुम मुंबई आओ वहां तुम्हारे काम की कद्र होगी।

उन्होंने बताया कि इसके बाद 11 सितंबर 1998 को मैं मुंबई पहुंच गए। वहां भी एक पहचान वाले के यहां रहने लगे। लेकिन यहां रहना इतना आसान नहीं था। सुबह से कंपनी में काम होता था, इसलिए सुबह ही उठकर निकलना पड़ता था और रात को जब कंपनी बंद होती थी तब सोने का मौका मिलता था। उस समय सोने के लिए बिस्तर नहीं था मेरे पास इसलिए कंपनी के बोरे पर सोया करता था और ईट को तकिया बनाया करता था।

हर सुबह स्टूडियो दर स्टूडियो काम मांगने के लिए चक्कर लगाता था। फिर एक दिन मुंबा देवी की कृपा से शक्ति नामक सीरियल के 2 एपिसोड में काम करने का मौका मिला। अरुण बताते हैं कि, 1 दिन जुहू चौपाटी में देवआनंद अपनी फिल्म सेंसर की शूटिंग कर रहे थे। उस दिन मैं भी शूटिंग देखने गया हुआ था। इसके बाद जैसे ही देव साहब शूट खत्म करके निकलने लगे, मैं पीछे से जाकर उनका हाथ पकड़ लिया। देव साहब ने देखा तो पूछा हां भाई क्या है? मैंने कहा कि मैं अभी अभिनेता हूं और आप की फिल्म में काम करना चाहता हूं।

इसपर उन्होंने कहा कि यादव जी से मिल लो। यादव जी देव साहब के सेक्रेटरी हुआ करते थे। यादव जी से मुलाकात के बाद 2 दिन के बाद पहली फिल्म मिली और फिल्म के पोस्टर में भी जगह मिली। इसके बाद से मेरा फिल्मी करियर शुरु हुआ और तब से लेकर अबतक लगभग हर बड़े एक्टर के साथ काम कर चुका हूं।

इन फिल्मों में कर चुके हैं काम...

  • कोलकाता मेल में अनिल कपूर के साथ
  • अशोका दी ग्रेट में शाहरुख खान के साथ
  • पीके में आमिर खान के साथ
  • गदर एक प्रेम कथा में सनी देओल
  • टॉयलेट एक प्रेम कथा में अक्षय कुमार के साथ
  • अश्क में अमिताभ बच्चन के साथ ही दर्जनों फिल्मों में काम किया और अभी हाल ही में मेरी मलयालम फिल्म टियान रिलीज हुई है।

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