जब अंगरक्षकों ने इंदिरा गांधी को मार दी थी 31 गोलियां

संक्षेप:

  • आज ही के दिन हुई थी इंदिरा गांधी की हत्या
  • आर के धवन और बहू सोनिया गांधी लेकर पहुंची थी एम्स
  • इलाहाबाद में हुआ था जन्म

इलाहाबाद: साल 1984 में आज ही के दिन देश की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी को उनके अंगरक्षकों ने गोली मार दी थी। इंदिरा गांधी पर उनके अंगरक्षकों ने 31 गोलियां दागी थी। गोली लगने के बाद इंदिरा को उनके निजी सचिव आर के धवन और बहू सोनिया गांधी घायल अवस्था में एम्स लेकर भागे थे।

पूरे रास्ते इंदिरा गांधी का सिर सोनिया की गोद में ही था। अस्पताल के डॉक्टरों ने इंदिरा को 88 बोतल खून(0 निगेटिव) चढ़ाकर बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन किसी के सामने ना झुकने वाली इंदिरा ने मौत के सामने अपने घुटने टेक दिए।

इंदिरा गांधी के हाथ में पीएम पद ऐसे समय में आया था, जब देश नेतृत्व के संकट से जूझ रहा था। शुरू में गूंगी गुड़िया कहलाने वाली इंदिरा ने अपने चमत्कारिक नेतृत्व से न केवल देश को कुशल नेतृत्व प्रदान किया बल्कि विश्व मंच पर भी भारत की धाक जमा दी।

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इंदिरा में नेतृत्व के गुण कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने एक बार बातचीत में बताया था इंदिरा एक कुशल प्रशासक थीं। उनके सक्रिय सहयोग से बांग्लादेश अस्तित्व में आया। जिससे इतिहास और भूगोल दोनों बदल गए। बचपन से ही इंदिरा में नेतृत्व के गुण मौजूद थे। भारत के आजादी के आंदोलन को गति प्रदान करने के लिए इंदिरा ने बचपन में ही वानर सेना का गठन किया था।

जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू के घर इंदिरा का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में हुआ था। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे `प्रियदर्शिनी` नाम दिया था। शांतिनिकेतन में पढ़ाई करने वाली इंदिरा बचपन में काफी संकोची स्वभाव की थी।

इंदिरा प्रियदर्शनी को उनका `गांधी` उपनाम पति फिरोज से मिला अपनी राजनीतिक पारी के शुरूआती दिनों में गूंगी गुड़िया के नाम से जानी जाती थीं। इंदिरा प्रियदर्शनी को उनका `गांधी` उपनाम फिरोज़ गांधी से विवाह के पश्चात मिला था। 1971 के भारत-पाक युद्ध में एक निर्णायक जीत के बाद की अवधि में अस्थिरता की स्थिती में उन्होंने सन् 1975 में आपातकाल लागू किया।

`आयरन लेडी` साल 1971 में बांग्लादेश को अस्तित्व में लाकर इंदिरा ने अपनी सुलझी हुई सोच और कूटनीति का परिचय दिया था और अपने नाम के आगे `आयरन लेडी` लिखवा लिया था।जिंदगी औऱ देश के लिए कई अहम फैसले लेने वाली इंदिरा गांधी ने एक अंतिम जनसभा में कहा था कि वो अपने खून का एक-एक कतरा भारत के नाम कर देंगी जो कि उन्होंने कर भी दिखाया।

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