UPPSC की अभ्यर्थियों से अपील, सोशल मीडिया की अफवाहों से बचे

संक्षेप:

  • पीसीएस मेन्स 2017 का आउट हुआ था पेपर
  • पेपर आउट होने से आयोग की साख लगा बट्टा
  • छात्र ने आयोग के अध्यक्ष पर केस दर्ज करने की मांग की

इलाहाबादः उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का विवादों से नाता खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पीसीएस मेन्स 2017 का पेपर आउट होने के बाद एक फिर से आयोग की साख पर बट्टा लगा है। हांलाकि पेपर आउट होने के बाद आयोग ने पेपर रद्द कर मामले में मुकदमा दर्ज कराकर विभागीय जांच भी बैठा दी है। लेकिन उसके बाद भी आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर प्रतियोगी लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं।

प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है। वहीं आयोग के सचिव का कहना है कि आयोग की छवि को खराब करने के लिए साजिश हो रही है। यूपी लोक सेवा आयोग अपनी भर्तियों को लेकर पिछले कई सालों से विवादों में रहा है। आयोग की भर्तियों में हुई कथित गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की लगातार शिकायतों पर ही राज्य सरकार की संस्तुति पर सीबीआई जांच भी हो रही है।

सीबीआई 2012 से लेकर 2017 के बीच हुई भर्तियों की जांच कर रही है। पिछली सरकार में डॉ. अनिल यादव के कार्यकाल में आयोग नौकरियों में भ्रष्टाचार को लेकर काफी बदनाम भी हो चुका था। जिसके चलते ही प्रतियोगी छात्रों ने प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर आयोग की भर्तियों में पारदर्शिता लाये जाने की मांग की थी।

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19 जून को पीसीएस मेन्स की अनिवार्य विषय सामान्य हिन्दी के पेपर में दूसरे पाली का निबन्ध का प्रश्नपत्र बांट दिए जाने से एक बार फिर से आयोग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गयी है। हांलाकि आयोग ने 19 जून की दोनों पालियों की परीक्षायें निरस्त कर दी हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर लगातार दूसरे पेपर के आउट होने की आ रही खबरों को लेकर प्रतियोगी छात्रों में गुस्सा है ।

प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है। वहीं लोक सेवा आयोग के सचिव जगदीश का कहना है कि आयोग की छवि बिगाड़ने के लिए शरारती तत्व सोशल मीडिया पर पेपर आउट होने की लगातार अफवाह फैला रहे हैं।

उन्होंने कहा है कि पीसीएस 2017 प्रारम्भिक परीक्षा का रिजल्ट जनवरी में घोषित कर दिया गया था और मार्च में मेन्स की परीक्षा प्रस्तावित थी। लेकिन परीक्षार्थियों के ही आग्रह पर मई में मेन्स परीक्षा कराने की तैयारी थी। इस बीच कुछ परीक्षार्थी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी लेकिन कोर्ट से राहत न मिलने से आयोग ने जून में परीक्षा कराने का निर्णय लिया।

सचिव के मुताबिक जहां तक 19 जून को पेपर आउट होने का सवाल है। उस मामले में पेपर निरस्त कर विभागीय जांच के साथ ही मुकदमा भी दर्ज कराया गया है। उन्होंने कहा है कि सोशल मीडिया में पेपर आउट होने की अफवाह फैलाये जाने के खिलाफ भी गुरुवार को सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है।

बहरहाल, पेपर आउट काण्ड के बाद भले ही आयोग की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर से सवाल खड़े हो रहे हैं। लेकिन आयोग अपनी छवि को बचाने के लिए इस बार कड़े कदम उठाने की बात कर रहा है।

आयोग के सचिव के मुताबिक आयोग की परीक्षाये पारदर्शिता और शुचिता के साथ करायी जायेंगी और मेन्स परीक्षा के कार्यक्रम में कोई तब्दीली नहीं होगी। उन्होंने परीक्षार्थियों से अपील की है कि परीक्षा को लेकर सोशल मीडिया पर कोई अफवाह फैलायी जाती हो तो बगैर आयोग से पुष्टि किए परीक्षार्थी उस पर कतई विश्वास न करें

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