इलाहाबाद में दम तोड़ती नज़र आ रही है गंगा, कुंभ मेले से पहले हुआ ऐसा हाल

संक्षेप:

  • संगम में दम तोड़ती नजर आ रही गंगा
  • गंगा और यमुना का तेजा से घट रहा जलस्तर
  • काफी दूषित नजर आ रहा दोनों नदियों का जल

इलाहाबाद: तीर्थराज प्रयाग के संगम तट पर जनवरी 2019 में आयोजित होने वाले कुम्भ को लेकर जहां केन्द्र और राज्य सरकार जोर-शोर से ब्राण्डिंग में जुटी हैं। वहीं करोड़ों हिन्दुओं की आस्था की प्रतीक जीवनदायिनी गंगा की जलधारा संगम में दम तोड़ती नजर आ रही हैं।

गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए केन्द्र सरकार की नमामि गंगे योजना के तहत करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद संगम में गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर तेजी से घट रहा है। वहीं पहली बार गंगा और यमुना दोनों नदियों का जल काफी दूषित नजर आ रहा है। गंगा में दूषित जल छोड़े जाने से जहां मटमैले रंग का दिखने वाला गंगा नदी का जल गहरे हरे रंग का नजर आ रहा है।

जबकि हरे रंग का दिखने वाला यमुना नदी का जल काला रंग का नजर आ रहा है। संगम में दूषित जल प्रवाहित होने से यहां आने वाले श्रद्धालुओं और तीर्थ पुरोहितों की आस्था भी डिग रही है।

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तीर्थ राज प्रयाग के संगम में जहां हर छह वर्ष में कुम्भ का आयोजन होता है। वहीं 12 वर्षों में यहां पर महाकुम्भ लगता है। जबकि हर साल जनवरी माह में माघ मेले और स्नान पर्वों पर यहां पर मेला लगता है। लेकिन संगम में ही गंगा और यमुना नदियां अपने अस्तित्व के लिए समाप्त होता जा रहा है। जून के महीने में गंगा नदी का जलस्तर बेहद कम हो गया है। गंगा नदी में पानी कम होने से जगह-जगह रेत के टीले नजर आ रहे हैं। जबकि पानी कम होने से श्रद्धालु चलकर आसानी से नदी के बीच तक पहुंच रहे हैं।

वहीं पहली बार गंगा का पानी लोगों को हरे रंग का दिखायी दिया। यानि चार सालों में नमामि गंगे योजना से गंगा नदी निर्मल और अविरल भले ही नहीं हुईं। लेकिन गंगा का रंग हरा जरुर हो गया है। इसके साथ ही हरे रंग का दिखने वाला यमुना नदी का भी जल काले रंग का नजर आ रहा है। जिससे संगम में आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था भी प्रभावित हो रही है। यहां आने वाले श्रद्धालु आचमन और स्नान करने से भी बच रहे हैं। हांलाकि गंगा में आस्था के चलते कुछ श्रद्धालु स्नान भी कर रहे हैं और गंगा जल भरकर घरों के लिए भी ले जा रहे हैं।

कुम्भ के उप मेलाधिकारी राजीव राय के मुताबिक हर वर्ष गर्मी के सीजन में संगम का जल स्तर कम हो जाता है। उनके मुताबिक गंगा में जल छोड़े जाने को लेकर सिंचाई विभाग के अधिकारियों और शासन स्तर पर भी बातचीत हो रही है। वहीं गंगा औप यमुना में दूषित जल छोड़े जाने से पानी का रंग बदलने को लेकर उप मेलाधिकारी का कहना है कि नालों को ट्रीटकर ही नदी में छोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री ने भी सख्त निर्देश दिए हैं कि कुम्भ तक कानपुर टेनरियों से छोड़ा जाने वाला गंदा पानी गंगा में न छोड़ा जाये। उन्होंने एक पखवाड़े में गंगा के जलस्तर को लेकर स्थिति सामान्य होने का भी दावा किया है। उपमेलाधिकारी राजीव राय के मुताबिक पहली बार संगम क्षेत्र में प्रयाग राज मेला प्रधिकरण ने श्रद्धालुओं के लिए कई इंतजाम भी किये हैं।

बहरहाल, गंगोत्री से निकलने वाली गंगा तीर्थ राज प्रयाग में संगम तक आते-आते अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जद्दोजहद करती दिख रही हैं। गंगा की ये दुर्दशा तब है जबकि केन्द्र की सरकार ने गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए नमामि गंगे का अलग मंत्रालय बनाया है और करोड़ों रुपये भी खर्च हो रहे हैं। इसके साथ ही केन्द्र और राज्य सरकारें जनवरी 2019 में लगने वाले कुम्भ की जोरदार ब्राण्डिंग भी कर रही हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि जब गंगा और यमुना नदियों में स्वच्छ और निर्मल जल ही नहीं होगा तो आखिर श्रद्धालुओं के साथ ही साथ अखाड़े और अन्य साधु संत कैसे गंगा में आचमन और आस्था की डुबकी लगायेंगे।

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