इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में बाल यौन उत्पीड़न पर कार्यशाला

संक्षेप:

  • चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूज़ पर कार्यशाला
  • इलाहाबाद हाइकोर्ट की जस्टिस भारती सप्रू ने किया उद्घाटन
  • बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावकों को किया गया जागरुक

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में गुरूवार को बाल यौन उत्पीड़न विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन इलाहाबाद हाइकोर्ट की जस्टिस भारती सप्रू ने किया।

कार्यशाला की शुरुआत करने के साथ ही हाइकोर्ट की न्यायमूर्ति ने गुड़गांव के रियान स्कूल में मासूम की हत्या के मसले पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि मासूम बच्चों की स्कूलों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये जाने चाहिए। मासूमों की सुरक्षा को लेकर अभिभावकों को भी जागरुक होने के साथ सावधानी बरतनी चाहिये। इसके साथ ही उन्होनें बाल यौन उत्पीड़न के मामलों की चर्चा करते हुये कहा कि घर के अंदर से भी इसकी शुरुआत हो तभी अभिभावकों को इसकी शिकायत करनी चाहिये जिससे दोषी को सजा दी जा सके।

जस्टिस भारती सप्रू ने बताया कि बाल यौन उत्पीड़न एक्ट 2012 ऐसे मामलों में कठोर दंड देने के लिये ही बनाया गया है लेकिन इसके लिये अभिभावकों को आगे आना होगा और बच्चों के साथ ऐसी घिनौनी हरकत करने वालों की शिकायत करनी होगी। बाल यौन उत्पीड़न एक्ट 2012 का प्रचार प्रसार गांव-गांव तक किया जाये जिससे ग्रामीणों को भी इस कानून की जानकारी हो ताकि जरुरत पड़ने पर वो इसका इस्तेमाल कर सकें।

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यही नहीं जस्टिस भारती सप्रू ने कहा कि स्कूलों में भी इस कानून का प्रचार प्रसार करने के लिये बोर्ड लगाये जायें। छोटे बच्चों के मामलों में सबसे ज्यादा सावधानी अभिभावकों को बरतने की जरुरत है। जस्टिस भारती सप्रू ने कहा कि छोटे बच्चों की बसों में एक नहीं 2 कंडक्टर होने चाहिये जिनमें एक महिला कंडक्टर शामिल हो जो मासूमों की निगरानी कर सके।

हाइकोर्ट की महिला जस्टिस का कहना है कि बाल यौन उत्पीड़न के मामले सदियों से होते आ रहे है इसे रोकने के लिये जागरुकता सबसे ज्यादा जरुरी है औऱ जागरुकता के जरिये ही इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है। कानून के जरिए दोषी को सजा तो दी सकती है लेकिन बच्चों के साथ होने वाले इस घिनौने अपराध को रोकने के लिये जागरुकता सबसे जरुरी है। अभिभावकों के साथ ही बच्चों को जागरुक करके एक हद तक बाल यौन शोषण पर नियंत्रण किया जा सकता है।

 

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