इलाहाबाद: हिंदुस्तानी एकेडमी में 'ठिठोली' सुनाकर बटोरीं तालियां

संक्षेप:

  • हिंदुस्तानी एकेडमी में व्यंग्य-संगोष्ठी का आयोजन
  • व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय ने व्यंग्य को हथियार बनाने की अपील की
  • फज्ले हसनैन ने की संगोष्ठी की अध्यक्षता

इलाहाबाद: व्यंग्य विधा के विविध आयामों पर मंथन के लिए हिंदुस्तानी एकेडमी की ओर से ‘हमारे समय में व्यंग्य विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। देश के जाने-माने व्यंग्यकारों ने व्यंग्य के क्रमिक विकास, लेखन शैली, व्यंग्य-हास्य संबंध, कसौटी और उसकी सामाजिक चेतना पर विचार रखे। प्रेम जनमेजय ने व्यंग्य को हथियार बनाने की अपील की।

पहले सत्र की अध्यक्षता करते हुए व्यंग्यकार फज्ले हसनैन ने कहा कि जो व्यक्ति अपने समय और सच को नहीं भूलता वही बड़ा लेखक होता है। मुख्य वक्ता सुभाष चंदर ने कहा कि बदलती चुनौतियों के साथ व्यंग्य को भी बदलना चाहिए।

व्यंग्यकार अशोक संड ने कहा कि बदलते परिवेश में पारंपरिक शब्द, संस्कार और संस्कृति बदल रही है। व्यंग्य की चोट को हास्य राहत देता है, लेकिन यदि हास्य का प्रतिशत बढ़ जाता है तो वह ठिठौली बन जाता है। यश मालवीय ने कहा कि व्यंग्य ने अपना जज्बा कायम रखा है। इस अवसर पर उन्होंने कई व्यंग्य रचनाएं भी प्रस्तुत की।

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दूसरे सत्र की अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय ने कहा कि आज के समय में व्यंग्य के साथ चुनौतियां ज्यादा हैं। व्यंग्य का मूल्य चुकाने वाले कम, वसूलने वाले ज्यादा हैं। दामोदर दीक्षित ने व्यंग्य रचना तो तुम एंकर बनोगे के जरिए इस विधा की विसंगतियों को प्रस्तुत किया। डॉ. सुरेन्द्र वर्मा ने कहा कि व्यंग्य साहित्यिक स्वतंत्रता का प्रतीक है।

डॉ. धनजय चोपड़ा ने व्यंग्य लेख आलू किस्म के लोग को सुनाकर तालियां बटोरीं। स्नेह मधुर ने कहा कि व्यंग्य पत्र-पत्रिकाओं से निकलकर टीवी तक पहुंच गया है। संचालन कोषाध्यक्ष रविनंदन सिंह ने किया। एकेडेमी के सचिव रवीन्द्र कुमार ने अतिथियों को शॉल, स्मृति चिह्न भेंट किया। विशिष्ट अतिथि एडीए सचिव डॉ. गुणाकेश शर्मा रहे। इस अवसर पर प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह, प्रो. राज कुमार शर्मा, हरिमोहन मालवीय, प्रो. एए फातमी, डॉ. अशरफ अली बेग, नंदल हितैषी, प्रो. अनिता गोपेश, डॉ. अशोक कुमार गौड़, डॉ. शांति चौधरी, देवेन्द्र श्रीवास्तव देवेश, विवेक सत्यांशु, डॉ. मधुरिमा प्रसाद, मीनू रानी दुबे, सागर होशियारपुरी, डॉ. आनंद प्रकाश श्रीवास्वत, प्रदीप तिवारी, डॉ. वीरेन्द्र तिवारी, डॉ. इंदु प्रकाश, पीयूष मिश्र, राम नारायण पाठक मौजूद रहे।

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