आजमगढ़: 22 अप्रैल को आज़मगढ़ आएंगे मुख्तार अंसारी, बांदा जेल अधीक्षक को जारी किया निर्देश

संक्षेप:

  • आज़मगढ़ में मुख्तार अंसारी की पेशी 22 को
  • मुख्तार के खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट के तहत मुकदमा
  • कोर्ट ने बांदा जेल अधीक्षक को निर्देश जारी किया है

आजमगढ़| डॉन व विधायक मुख्तार अंसारी इस वक्त बांदा जेल में क़ैदी बनकर दिन गुज़ार रहे हैं. हालांकि बांदा जेल में यह उनकी वापसी ही है. लेकिन इस बार जेल का माहौल पिछली बार से एकदम अलग है. जेल में मानो सन्नाटा पसर गया हो.

अब मुख्तार अंसारी की पेशी 22 अप्रैल को आज़मगढ़ में होनी है. अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश गैंगेस्टर कोर्ट ने इस बाबत जेल अधीक्षक बांदा को निर्धारित तिथि पर कड़ी सुरक्षा के बीच उसे पेशी पर लाने का निर्देश जारी किया है। मुख्तार अंसारी के खिलाफ जिले के तरवां थाने में गैंगेस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है।
 
मुख्तार की पेशी के लिए काफी दिनों से प्रयास चल रहे

आज़मगढ़ की गैंगस्टर कोर्ट में मुख्तार की पेशी के लिए काफी दिनों से प्रयास चल रहे थे। पंजाब के रूपनगर जेल में बंद होने के दौरान भी गैंगेस्टर कोर्ट ने पेशी के लिए नोटिस वहां जेल अधीक्षक को भेजा था, लेकिन मेडिकल लगा कर मुख्तार पेशी से बचता रहा।

ये भी पढ़े : आजमगढ़: जिले में आचार संहिता के उल्लंघन पर चार के खिलाफ मुकदमा हुआ दर्ज, घर पर लगा रखा था पार्टी का झंडा


बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मुख्तार अंसारी यूपी की बांदा जेल में लाया गया। इसके बाद से ही जिले के गैंगेस्टर कोर्ट में उसकी पेशी की कवायद में शुरू हो गई।
 
बांदा जेल अधीक्षक को निर्देश जारी किए

अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश गैगेस्टर कोर्ट अनिल कुमार वर्मा ने सोमवार को मुख्तार अंसारी की पेशी के लिए डेट निश्चित करते हुए बांदा जेल अधीक्षक को पत्र जारी कर दिया है।
 
निर्देश में कहीं ये बातें

न्यायाधीश ने जेल अधीक्षक बांदा को निर्देशित किया है कि तरवां थाने में दर्ज गैंगेस्टर के मुकदमे में मुख्तार की रिमांड के लिए अर्जी लगी है। मुख्तार अंसारी को 22 अप्रैल को सुबह साढ़े दस बजे पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के साथ उपस्थित कराना सुनिश्चित करें। 

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

Related Articles