यौन शोषण मामलाः जानिए, आसुमल से आसाराम बापू बनने की कहानी

संक्षेप:

  • आसाराम को जेल या बेल?, फैसला कल
  • पहले बेची चाय, शराब, फिर बन गए आसाराम
  • धीरे-धीरे बढ़ाया धर्म का व्यवसाय

बलात्कार मामले में आसाराम पर बुधवार को फैसला सुनाए जाने से पहले शहर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई.  जोधपुर में 21 अप्रैल से लेकर 30 अप्रैल तक धारा 144 लगा दी गई है. बता दें राजस्थान हाई कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक निचली अदालत जोधपुर सेंट्रल जेल परिसर में ही अपना फैसला सुनाएगी. वहीं केन्द्र ने फैसला सुनाए जाने से पहले राजस्थान, गुजरात और हरियाणा को सुरक्षा कड़ी करने और अतिरिक्त बल तैनात करने को कहा है. दरअसल आसाराम बापू का विवादों से पुराना नाता रहा है. उन पर कई तरह के आरोप लग चुके हैं लेकिन फिर भी उनके समर्थक उन्हें पाक-साफ मानते हैं और उनकी पूजा तक करते हैं. पिछले काफी वक्त से आसाराम जेल में हैं लेकिन उनके समर्थक उन्हें रिहा करने की ना केवल ऑनलाइन अपील करते रहते हैं बल्कि अक्सर प्रदर्शन भी करते रहते हैं.

कौन हैं आसाराम

आसाराम का जन्म 1941 में पाकिस्तान के सिंध इलाके में हुआ था. उनका असली नाम आसुमल हरपलानी है. विभाजन के बाद परिवार अहमदाबाद में बसा तो आसुमल भी साथ आए. नके पिता परचून की दुकान चलाते थे. उन्होंने भी पहले परचून की और फिर चाय की छोटी सी दुकान शुरू की. पिता को यहां महसूस हुआ कि बच्चे को पढ़ाना भी चाहिए. दो तीन साल तक स्कूल गए. पिता का निधन का हो गया. गुजारे के लिए दुकान ही एक जरिया थी. रिश्ते के एक भाई के साथ उसे देखने लगे. एक पुलिस केस के चलते बाद में आसुमल सरदारनगर चले गए.

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सरदारनगर में आसुमल ने अपने कुछ साथियों के साथ शराब का धंधा भी शुरू किया. तीन-चार साल तक शराब का धंधा करने के बाद उन्होंने ये काम छोड़ दिया. फिर दूध की दुकान पर नौकरी शुरू की और फिर गायब हो गए.

ऐसे बढ़ता रहा साम्राज्य

अहमदाबाद के पास मुटेरा कस्बे में उन्होंने पहला आश्रम खोला. धीरे-धीरे इलाके के लोग उनके पास आने लगे और उनकी ख्याति फैलने लगी. 400 आश्रम और 4 करोड़ अनुयायी होने का दावा करने वाले आसाराम के पास नेता भी पहुंचने लगे और अभिनेता भी. उनके जलवे की स्थिति ये थी कि पीएम और सीएम तक उनसे मिलने के लिए उनके आश्रम में पहुंचते थे.

राजनीतिज्ञ नतमस्तक रहते थे

आसाराम के प्रवचनों को सुनने के लिए जो भीड़ पहुंचती थी, नेताओं की नजरें उस भीड़ पर जा टिकीं. इस भीड़ को नेता वोट में बदलना चाहते थे और यही कारण था कि हर पार्टी के नेता इन प्रवचनों में दिखाई देने लगे. लेकिन जब आसाराम पर गंभीर आरोप लगे तो सभी नेताओं से उनसे किनारा करना ही सही समझा.

क्या हैं आरोप

उत्तर प्रदेश की एक नाबालिग लड़की द्वारा कथित तौर पर आसाराम पर जोधपुर के बाहरी इलाके में स्थित अपने आश्रम में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाए जाने के बाद उन्हें 2013 में गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद उन्हें इंदौर से लाया गया और जोधपुर केंद्रीय कारागार में रखा गया.

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