अतीक अहमद ने लोकसभा चुनाव का हवाला देते हुए बरेली के जेल में रहने से किया इंकार

संक्षेप:

  • जेल में माफिया अतीक अहमद 11 दिन में ऊब गया
  • आसपास की जेल में शिफ्ट करने की लगाई गुहार
  • 21 जनवरी को होगी मामले की सुनवाई

बरेली जिला जेल से बाहुबली माफिया अतीक अहमद 11 दिन में ऊब गया है। माफिया अतीक अब एक भी दिन बरेली के जेल में नहीं रहना चाहता। अतीक अहमद ने इलाहाबाद की स्पेशल कोर्ट में याचिका दायर कर होम टाउन के आसपास की जेल में शिफ्ट करने की गुहार लगाई है।  बता दें स्पेशल कोर्ट में 21 जनवरी को मामले की सुनवाई होगी। एक जनवरी को देवरिया जेल से अतीक अहमद को बरेली भेजा गया था। बरेली की जिला में शिफ्ट होते ही अतीक अहमद का नेटवर्क काफी हद तक गड़बड़ा गया है। मुलाकात करने वाले अतीक के गुर्गों पर भी जिला जेल में नजर रखी जा रही है। बरेली में अतीक के गुर्गे ठिकाना बनाने में कामयाब नहीं हो पा रहे है। इलाहाबाद नंबर की गाड़ियों पर भी पुलिस और प्रशासन नजर टिकाए हुए है। होटल और धर्मशालों में ठहरने वाले लोगों के बारे में पुलिस-प्रशासन खुफिया तरीके से जानकारी जुटा रही है।

अतीक अहमद ने अपने वकील के जरिए इलाहाबाद की स्पेशल कोर्ट में केस दायर कर दिया है। देवरिया से बरेली जेल में शिफ्ट करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है। अतीक ने लोकसभा चुनाव नजदीक होने का हवाला देते हुए आसपास की जिला जेल में शिफ्ट करने का निवेदन अदालत से किया है। स्पेशल कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली है। 21 जनवरी को याचिका पर सुनवाई होगी। वहीं वकील निसार अहमद ने बताया कि होम टाउन से 200 से 250 किमी से दूर किसी जेल में विचाराधीन बंदी को नहीं रख सकते।

ये भी पढ़े : राम दरबार: 350 मुस्लिमों की आंखों में गरिमयी आंसू और जुबां पर श्री राम का नाम


बंदी को पेशी पर जाना होता है। बरेली से इलाहाबाद की दूरी बहुत अधिक है। 10 घंटे का सफर है। अतीक अहमद को होम टाउन से इतनी दूर शिफ्ट करना एक तरह का अत्याचार जैसा है। इसी के साथ बरेली के डीएम वीरेंद्र सिंह ने जिला जेल अधीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर अतीक को दूसरी जेल में शिफ्ट करने की शासन से सिफारिश कर चुके हैं। वहीं डीएम ने अतीक के बरेली में रहने से माहौल बिगड़ने का खतरा भी बताया था।

 

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

अन्य बरेली की अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।

Related Articles