आतंकवाद के खिलाफ बरेली में फतवा जारी, 'जिहाद के लिए भारत में जगह नहीं'

संक्षेप:

  • मुस्लिम धर्मगुरु ने जारी किया फतवा
  • कुरआन और हदीश का दिया हवाला
  • 14 राज्‍यों के मुफ्तियों की सहमति का दावा

बरेलीः दुनिया भर में बढ़तीं आतंकवादी गतिविधियों की वजह से लाखों निर्दोष लोगों की जानें जा रही हैं. साथ ही लाखों-करोड़ों लोग बर्बाद भी हो चुके हैं. बुधवार को बरेली में आलिमेदीन और मुफ्ती मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने प्रेस कांफ्रेंस कर आतंकवादी संगठनों का विरोध करते हुए फतवा जारी किया है.

बरेली में बुधवार को प्रेसवार्ता में मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि मौजूदा समय में इस्लाम के नाम से मंसूब जिहाद की आज हिन्दुस्तान में जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में मुसलमानों को मजहबी आजादी मिली हुई है. नमाज, रोजा, हज, जकात, निकाह, तलाक, अजान आदि अदा करने के लिए मुल्क में कोई पाबंदी नहीं है. उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान एक जमहूरियत पसंद देश है, इस्लाम शांति का धर्म है और वह आतंकवाद का समर्थन नहीं करता है. उन्होंने कहा कि कुछ आतंकवादी संगठन जिहाद के नाम पर बेकसूर लोगों का क़त्ल कर रहे हैं. इस्लाम इस तरह के जंग, जिदाल और क़त्ल के खिलाफ है. कहा कि इस्लाम ने हमेशा शांति का पैगाम दिया है. उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठन इस्लाम को कमजोर करने और पूरी दुनिया में मुसलमानों को बदनाम करने में लगी हुई हैं. इसलिए इन तंजीमों को इस्लाम के दायरे से खारिज किया जा रहा है.

कुरआन और हदीश का दिया हवाला

ये भी पढ़े : सारे विश्व में शुद्धता के संस्कार, सकारात्मक सोच और धर्म के रास्ते पर चलने की आवश्यकता: भैय्याजी जोशी


कुरआन और हदीस का हवाला देते हुए कहा कि आतंकवादियों का सहयोग करना भी हराम है. उन्होंने कहा कि गत दिनों कश्मीर के चंद नौजवान आतंकवादी संगठनों में शामिल हो गए थे. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह ऐसे किसी संगठन में शामिल न हों. मौलाना ने कहा कि उनके इस फतवे पर 14 राज्य के मुफ्तियों ने अपनी सहमति जताई है. मौलाना ने कहा कि इस फतवे को लेकर वह देश भर के इस्लामिक संस्थाओं के प्रमुखों से मिलने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि फतवा निश्चित तौर पर हिंसा पर लगाम लगाने में मददगार होगा.

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

अन्य बरेली की अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।

Related Articles