शिष्या से रेप मामलाः चिन्मयानंद की बढ़ीं मुश्किले, कोर्ट ने जारी किया वारंट

संक्षेप:

  • योगी सरकार को झटका
  • कोर्ट ने रेप केस वापस लेने से किया इंकार
  • योगी सरकार ने की थी केस वापस लेने की सिफारिश

बरेलीः पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर बंधक बनाकर दुष्कर्म के मामले में स्थानीय अदालत ने राज्य सरकार की मुकदमा वापस लेने की अर्जी को खारिज करते हुए जमानती वारंट जारी किया है. कोर्ट के इस फैसले से यूपी में बीजेपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार को झटका लगा है. राज्य सरकार ने कुछ समय पहले स्वामी चिन्मयानंद पर लगा रेप का आरोप वापस लेने की सिफारिश की थी.

योगी सरकार ने की थी केस वापस लेने की सिफारिश

बता दें कि स्वामी चिन्मयानंद पर रेप केस खत्म करने के लिए प्रदेश सरकार ने जिलाधिकारी को एक पत्र भेजा था. ये पत्र जिला प्रशासन की ओर से न्यायालय भेजा गया था. न्यायालय ने प्रदेश सरकार के इस पत्र पर चिन्मयानंद के पक्ष में फैसला सुनाने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने चिन्मयानंद के खिलाफ वारंट भी जारी कर दिया है. वारंट जमानती है.

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पीड़िता ने दर्ज की थी आपत्ति

पीड़िता द्वारा कल 24 मई को पीड़िता की ओर से लिखित में आपत्ति दाखिल की गई. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) शिखा प्रधान की अदालत ने पीड़िता की अर्जी पर सुनवाई कर राज्य सरकार की ओर से मुकदमा वापस लेने की अर्जी को खारिज कर दिया. अदालत ने पीड़िता की अर्जी को मानते हुए मुकदमा चलाने की अनुमति भी दी है. चिन्मयानंद के विरुद्ध जमानती वारंट भी जारी किया है. अदालत ने चिन्मयानंद को अगली तारीख पर अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया है.

चिन्मयानंद की शिष्या थी पीड़िता, 2011 में लगाया था आरोप

बता दें कि 2011 में स्वामी चिन्मयानंद पर उनकी ही एक शिष्या ने रेप का आरोप लगाया था. आरोप था कि उसे स्वामी चिन्मयानंद ने हरिद्वार के आश्रम में बंधक बनाकर रखा और उसके साथ कई बार रेप किया था. पीड़िता के पिता ने उनके खिलाफ शाहजहांपुर कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई थी. स्वामी चिन्मयानंद इस केस के खिलाफ हाईकोर्ट गए थे. पिछले माह 9 मार्च को शाहजहांपुर प्रशासन ने स्वामी चिन्मयानंद पर लगा केस वापस ले लेने के लिए पत्राचार किया था. स्वामी चिन्मयानंद केंद्रीय मंत्री रहने के साथ ही भाजपा से तीन बार सांसद रह चुके हैं.

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