- वोडाफोन-आइडिया मर्जर के बाद आइडिया का बदलेगा नाम
- ‘वोडाफोन आइडिया लिमिटेड’ होगा नई कंपनी का नाम
- मर्जर के बाद देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी होगी
आइडिया का वोडाफोन में विलय की प्रक्रिया पूरी होने के करीब है. इसी कड़ी में आइडिया सेल्युलर के बोर्ड ने 26 जून को एक्स्ट्राऑर्डिनरी जनरल मीटिंग (EGM) बुलाई है जिसमें `आइडिया सेल्युलर लिमिटेड` का नाम बदलकर `वोडाफोन आइडिया लिमिटेड` किए जाने को मंजूरी दी जाएगी. इसके अलावा EGM में बोर्ड की उस योजना पर भी विचार किया जाएगा जिसमें नॉनकन्वर्टिबल सिक्यॉरिटीज के जरिए 15,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है. इसका इस्तेमाल कर्ज के भुगतान और बैलेंस शीट को मजबूत करने में किया जाएगा ताकि रिलायंस जियो और भारतीय एयरटेल जैसे प्रतिद्वंद्वियों का मुकाबला किया जा सके.
अंतिम दौर में मर्जर
देश की दूसरी और तीसरी बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन और आइडिया मर्जर के अंतिम दौर में हैं. रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में नए सर्टिफिकेट ऑफ इनकॉरपोरेशन जारी होने के बाद आइडिया सेल्युलर लिमिटेड का नाम बदलकर ‘वोडाफोन आइडिया लिमिटेड’ हो जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) से मर्जर को अंतिम मंजूरी मिलने वाली है. यह फाइनल स्टेज में है.
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किसकी कितनी होगी हिस्सेदारी
सूत्रों के मुताबिक, मर्जर के बाद नई कंपनी में वोडाफोन के पास 45.1 फीसदी, आदित्य बिड़ला ग्रुप की 26 फीसदी और आइडिया के शेयरधारकों के पास 28.9 फीसदी हिस्सेदारी होगी. नई कंपनी के पास पहले दिन से ही लगभग 43 करोड़ मोबाइल सब्सक्राइबर्स होंगे.
यूजर्स पर क्या होगा असर
कंपनी का नाम बदलने पर आइडिया और वोडाफोन के यूजर्स नई कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड के ग्राहक बन जाएंगे. नई कंपनी के ऑफर्स और नए प्लान का फायदा उन्हें मिलेगा. इसके अलावा, जियो और एयरटेल से टक्कर लेने के लिए कंपनी यूजर्स को कुछ अतिरिक्त बेनिफिट्स भी दे सकती है.
ईजीएम में और क्या होगा?
26 जून को होने वाली ईजीएम में कंपनी का नाम बदलने के अलावा NCD के जरिए 15 हजार करोड़ रुपए जुटाने के प्रस्ताव पर भी चर्चा होगी. इसके लिए कंपनी के मेंबर्स और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से मंजूरी ली जानी है. कंपनी रिजॉल्यूशन पास होने की तारीख से एक साल के भीतर प्राइवेट प्लेसमेंट के आधार पर फंड जुटाने के लिए ईजीएम से मंजूरी लेगी.
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