बस्ती: एक दिन तक शव के लिए नहीं मिला वाहन तो पिता को ट्रोली पर लाया बेटा

संक्षेप:

  • पिता के शव को ट्रॉली पर ले गया बेटा
  • एक दिन तक किया था शव वाहन का इंतज़ार
  • राप्ती घाट ले जाकर किया पिता का अंतिम संस्कार

बस्ती ।  इस वक्त हर जगह अस्पताल और श्मशान घाट भरे हुए हैं. कहीं इलाज के लिए लाइन लग रही हैं तो कहीं अंतिम संस्कार के लिए. यहां तक की अब शव के लिए गाड़ी तक नसीब नहीं हो रही है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है बस्ती से जहां एसडीएम सदर और एसडीएम बांसगांव के निर्देश के बाद भी पीडब्ल्यूडी के चालक व्यासमुनि पाण्डेय के शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने को शव वाहन नहीं मिल सका। लेकिन बेटे ने हार नहीं मानी.

24 घंटे के इंतजार के बाद बेबस पुत्र ने अपने पैतृक गांव देवरिया जिले के बरहज बराव से ट्रैक्टर ट्राली मंगा पिता के शव को बाइक की मदद से ट्रॉली पर चढ़ाकर गजपुर में राप्ती घाट ले जाकर अंतिम संस्कार किया।
 
पीडब्ल्यूडी के ड्राइवर थे व्यासमुनि पांडेय
 
गोला थाना क्षेत्र के रामनगर में किराए के मकान में रह रहे कोरोना संक्रमित पीडब्ल्यूडी के ड्राइवर व्यासमुनि पांडेय की तबीयत पंचायत चुनाव के बाद बिगड़ी तो बुधवार को उन्होंने कोरोना जांच कराई। दवा देकर उन्हें घर भेज दिया गया। गुरुवार को तबीयत और बिगड़ गई तो देवरिया से उनकी पत्नी और पुत्र राम आशीष आए। घरवाले गुरुवार की सुबह से उन्हें कोविड 19 अस्पताल में दाखिल कराने के लिए अधिकारियों से गुहार लगाते रहे लेकिन हीलाहवाली के बीच 55 वर्षीय पाण्डेय ने दम तोड़ दिया।

गुरुवार को दिन में 2.30 बजे उनकी मौत हुई तो दूसरी जंग शुरू हुई, उन्हें श्मशान पहुंचाने की। एक ओर पिता की मौत के बाद बिलखती मां और दूसरी ओर अकेला राम आशीष। कुछ समझ नहीं आ रहा था। कोई भी अपनी गाड़ी से शव को श्मशान घाट तक ले जाने को तैयार नहीं हुआ। 
 
स्वयं पीपीई किट पहन कर पिता के शव को पैक किया
 
मामला एसडीएम सदर कुलदीप मीणा और बांसगांव एसडीएम विनय पाण्डेय तक पहुंचा। दोनों अफसरों के निर्देश के बाद भी शव वाहन नहीं मिला। हालांकि सीएचसी कौड़ीराम से मेडिकल अधिकारी ने गुरुवार की देर रात दो स्वास्थ्य कर्मियों से 5 पीपीई किट और एक लीटर हाइपो क्लोराइड पहुंचवा दिया। दोनों कर्मियों ने आश्वस्त किया कि जल्द ही शव वाहन भी भेजेंगे.

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लेकिन शुक्रवार दिन में 3 बजे तक जब शव वाहन नहीं मिला तो राम आशीष ने अपने गांव के ट्रैक्टर-ट्रॉली मंगायी। ट्रैक्टर-ट्रॉली चालक और राम अशीष ने स्वयं पीपीई किट पहन कर पिता के शव को भी पीपीई किट में पैक किया। उसके बाद अपनी बाइक को ट्राली के साथ लगा कर किसी तरह शव को रखा। फिर अंतिम संस्कार गजपुर ले जाकर किया।

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