देखिए सालों से बंद पड़े इस विद्यालय में कैसे पढ़ने आते हैं बच्चे, शिक्षकों को भी मिलती है अच्छी सैलरी

संक्षेप:

सालों से बंद विद्यालय में होती है पढ़ाई

सिर्फ कागजों में विद्यालय का हो रहा है संचालन

ना तो बच्चे पढ़ने जाते हैं और ना ही शिक्षक आते हैं

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है.. यहां एक संस्कृत डिग्री कॉलेज है, इस कॉलेज की बिल्डिंग लाजबाव है, विश्व विद्यालय से इसको मान्यता प्राप्त हैं, छात्र यहां पढ़ने आते हैं साथ ही यहां अच्छे शिक्षकों की काफी संख्या भी है... लेकिन ये सारी सुविधाएं सिर्फ कागजों में है... हकीकत तो कुछ और ही है...

 

दरअसल, पिछले 10 सालों से संस्कृत डिग्री कॉलेज का ताला तक नहीं खुला है...  सरकार और विश्व विद्यालय प्रशासन को धोखे में रखकर सिर्फ फाइलों में ही महाविद्यालय का संचालन हो रहा है... कागजों में दस साल से इस स्कूल में बच्चे पढ़ भी रहे हैं और पास होकर डिग्री भी हासिल कर रहे हैं... शहर से मात्र 4 किमी दूर गणेशपुर गांव में संस्कृत महाविद्यालय के कागजी संचालन पर जिम्मेदारों की या तो नजर नहीं पड़ी या फिर सांठगांठ के चलते इस महाविद्यालय पर कोई कारवाई नहीं की गई...

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जांच पड़ताल के दौरान कैमरे में कैद तस्वीरों को देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि संस्कृत महाविद्यालय के नाम पर प्रबंधन किस तरह शिक्षा के नाम पर लूट खसोट कर रहा है... जिम्मेदारों की उपेक्षा ने जहां संस्कृत विद्यालयों को बदहाल कर दिया है... वहीं ज्यादातर छात्रों ने भी संस्कृत से मुंह मोड़ लिया है...

 

बता दें कि गणेशपुर गांव में पंडित भगवती प्रसाद संस्कृत महा विद्यालय चुवाडे की स्थापना सन् 2011 में हुई थी,... तब से आज तक इसका ताला तक नहीं खुला और गांव के लोगों ने स्कूल का प्रयोग गोबर पाथने में शुरू कर दिया.. बड़ी-बड़ी घास, टूटे दरवाजे, गिरती दीवारें, कुछ सालों से जंग लगे ताले विद्यालय की बदहाली की कहानी कह रहे हैं... जिले में कमोबेश संस्कृत विद्यालयों, महाविद्यालयों का हाल कुछ ऐसा ही है...

 

हालांकि कागजों पर विद्यालय में कई शिक्षक अच्छी खासी सैलरी ले रहे हैं लेकिन हकीकत में स्कूलों में न तो बच्चे आते हैं और न ही शिक्षक... इस बारे में जब जनपद के माध्यमिक के संयुक्त निदेशक मनोज द्विवेदी ने बताया कि वो मामले की जांच करेंगे..

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