उच्च न्यायालय ने दिया आदेश, पंचायत चुनाव ने नए तरीके से किया जाए आरक्षण का निर्धारण

संक्षेप:

  • पंचायत चुनाव आरक्षण पर हाइकोर्ट ने सुनाया फैसला
  • नए सिरे से करें आरक्षण का निर्धारण
  • फैसले से हो सकती है आरक्षण प्रक्रिया में देरी

उत्तर प्रदेश में होनेवाले त्रिस्तरीय चुनाव में सभी चुनावी पदों पर आरक्षण का निर्धारण अब नए सिरे से किया जाएगा। ग्राम प्रधान, ग्राम सदस्य, क्षेत्र व जिला पंचायत सदस्यों के पदों पर प्रशासन को 10 दिन में 690 पंचायतों की नई आरक्षण सूची जारी करनी है। जिसके बाद फिर दोबारा से आपत्तियां ली जाएंगी। जिसके निस्तारण के बाद अंतिम आरक्षण सूची प्रकाशित की जाएगी।

 

सोमवार को हुई उच्च न्यायालय की सुनवाई में 1995 के आधार पर जारी की गई आरक्षण सूची को निरस्त कर दिया गया। न्यायालय ने आदेश दिया कि आरक्षण की व्यवस्था वर्ष 2015 के आधार पर किया जाए। न्यायालय के आदेश के बाद 2 मार्च को जारी हुई अंतिम आरक्षण सूची को निरस्त कर दिया गया। जिला निर्वाचन अधिकारी प्रभु एन सिंह ने बताया कि पूरी आरक्षण प्रक्रिया दोबारा से की जाएगी।

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ग्राम सदस्यों को करनी होगी ज्यादा कसरत

15 ब्लॉक व 51 जिला पंचायत वार्ड में आरक्षण निर्धारण का कार्य तीन से चार दिन में हो जाएगा। लेकिन 690 पंचायतों में 1080 ग्राम पंचायत सदस्य और पंचायत सदस्यों के 1200 से अधिक वार्ड हैं, जिनके आरक्षण निर्धारण का कार्य प्रशासन को दोबारा नए सिरे से करने में सबसे ज्यादा कसरत करनी पड़ेगी।

519 आपत्तियों के परिणाम भी हुए रद्द

जिला मजिस्ट्रेट व जिला निर्वाचन अधिकारी प्रभु एन सिंह ने बताया 2 मार्च को जारी हुई आरक्षण सूची के आधार पर 4 से 8 मार्च तक 519 आपत्तियां प्राप्त हुई हैँ। जिनके सभी परिणामों को रद्द कर दिया गया है। अब नई आरक्षण सूची के आधार पर फिर से आपत्तियां प्राप्त की जाएंगी।

चुनाव प्रक्रिया में हो सकती है देरी

नई आरक्षण व्यवस्था के कारण त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया में 10 से 15 दिन की देरी हो सकती है। आरक्षण सूची, आपत्तियों का निस्तारण और फिर अंतिम सूची का प्रकाशन आदि में अप्रैल का पहला सप्ताह निकल जाएगा। ऐसे में चुनाव की अधिसूचना 10 अप्रैल के बाद ही जारी हो सकती है।

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