महापौर चुनाव को चुनौती देने वाली याचिकाएं हाईकोर्ट ने की खारिज

संक्षेप:

  • महापौर के अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली को लेकर दायर की गई याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी
  • याचिका में अप्रत्यक्ष चुनाव को लेकर चुनौती दी गई थी 
  • नगरीय निकाय चुनाव से ठीक पहले राज्य सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव प्रक्रिया में संशोधन को मंजूरी दी थी

बिलासपुर: महापौर के अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली को लेकर दायर की गई याचिका बुधवार को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। लोरमी विधानसभा क्षेत्र के विधायक धर्मजीत सिंह सहित अन्य लोगों ने अलग अलग याचिका दायर की थी। इसमें अप्रत्यक्ष चुनाव को लेकर चुनौती दी गई थी और कहा गया था कि मेयर के कार्यकाल पर असर पड़ेगा। बुधवार को इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में हुई चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन की अगुवाई वाली डिजाइन भेजने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।

गौरतलब है कि राज्य में नगरीय निकाय चुनाव से ठीक पहले राज्य सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव प्रक्रिया में संशोधन को मंजूरी देते हुए महापौर के प्रत्यक्ष निर्वाचन की प्रक्रिया में बदलाव किया था और अप्रत्यक्ष निर्वाचन की नई व्यवस्था लागू की गई थी। इस बार इसी आधार पर चुनाव हुए।

नगरीय निकायों में पहले महापौर के लिए अगल चुनाव होते थे, जिसमें जनता महापौर चुनने के लिए सीधे मतदान करती थी। नई प्रक्रिया लागू होने के बाद इस बाद निगमों में चुनाव जीत कर आए पार्षदों ने मतदान के जरिए अपने-अपने निगमों में महापौर का चुनाव किया है।

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राज्य में 10 नगर निगमों के लिए चुनाव हुए थे। अब तक 9 नगर निगमों में महापौर का चुनाव हो चुका है। सभी निगमों में अब तक कांग्रेस के ही महापौर बने हैं। नगरीय निकाय चुनाव प्रक्रिया में संशोधन को लेकर विपक्ष ने आपत्ती दर्ज कराते हुए हाईकोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की थी।

याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। नगरीय निकाय चुनाव में संवैधानिक रूप से महापौर के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के चुनाव को मान्यता दी जाती है। वर्ष 1992 तक राज्य के नगर निगमों में अप्रत्यक्ष रूप से ही महापौर का चुनाव होता था। चुनावी प्रक्रिया में इस संशोधन को लेकर राज्य सरकार का यह तर्क था कि इससे नगरीय निकायों को और ज्यादा मजबूत करने में सहायता मिलेगी।

 

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