सलवा जुड़ूम आंदोलन से 14 साल में बंद हुए 300 स्कूल

संक्षेप:

  • नक्सली हिंसा और उसके खिलाफ चलाए गए सलवा जुड़ूम आंदोलन का सबसे ज्यादा असर जिले की शिक्षा व्यवस्था पर ही पड़ा है।
  • दबाव की वजह से जिले के तीन सौ से ज्यादा स्कूल पिछले 14 साल में बंद हो चुके हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से पहले फोर्स स्कूलों में कैंप करती रही थी लेकिन नक्सली उन्हें नष्ट करते रहे।

बीजापुर:नक्सली हिंसा और उसके खिलाफ चलाए गए सलवा जुड़ूम आंदोलन का सबसे ज्यादा असर जिले की शिक्षा व्यवस्था पर ही पड़ा है। दोतरफा दबाव की वजह से जिले के तीन सौ से ज्यादा स्कूल पिछले 14 साल में बंद हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से पहले फोर्स स्कूलों में कैंप करती रही थी लेकिन नक्सली उन्हें नष्ट करते रहे।

एक दशक से ज्यादा वक्त तक इस इलाके के आदिवासी बच्चे शिक्षा से वंचित रहे। अब पिछले पांच साल से प्रशासन बंद स्कूलों को दोबारा खोलने की कवायद में जुटा है। इससे उम्मीद तो जागी है पर इस दौरान सिर्फ 32 स्कूल ही खोल जा सके हैं। इनमें से 26 स्कूल तो इसी सत्र में खुले हैं।

2005 में सलवा जुडूम की शुरुआत के बाद जिले में बंद हुए स्कूलों के पट करीब 9 सालों तक नहीं खुले थे। 2014 में पहली दफा 6 स्कूलों का पुनः संचालन किस तरह कराने में प्रशासन कामयाब हुआ था। इस वर्ष जब शिक्षा विभाग ने बंद पड़े स्कूलों की ओर प्रशासन और सरकार का ध्यानाकर्षण कराया तो पहल हुई। परिणामस्वरूप 26 स्कूल फिर से अस्तित्व में आए। हालांकि इंद्रावती राष्टीय उद्यान के सेण्डरा, पिल्लूर व केरपे में स्कूल रीओपन करवाना कड़ी चुनौती था मगर शिक्षा विभाग ने यहां 10 स्कूलों को पुनः संचालित करवाकर दम लिया। आंकड़ों पर नजर डालें तो स्थिति अब भी चिंतनीय है। दर्जनों स्थानों में स्कूल खुलने बाकी हैं और माओवादी खलल ही सबसे बड़ी अड़चन है।

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