मोटर साइकल को जुगाड़ से बनायई एंबुलेंस, अब तक 1000 प्रसव

संक्षेप:

  • एक युवा ने अपनी लगन और जोश के चलते एक ऐसी एंबुलेंस बना दी जो कई क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं के वरदान साबित हो रही है
  • भूपेश तिवारी ने जुगाड़ कर मोटर बाइक एंबुलेंस बनाई है
  • भूपेश तिवारी साथी नामक सामाजिक संगठन चलाते हैं

जगदलपुर: कोंडागांव जिले में एक युवा ने अपनी लगन और जोश के चलते एक ऐसी एंबुलेंस बना दी जो कई क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं के वरदान साबित हो रही है। भूपेश तिवारी ने जुगाड़ कर मोटर बाइक एंबुलेंस बनाई है और इसकी मदद से न सिर्फ कोंडागांव और नारायणपुर बल्कि राज्य के बलरामपुर तथा कवर्धा में भी गर्भवती महिलाओं को लाभ हो रहा है।
भूपेश तिवारी साथी नामक सामाजिक संगठन चलाते हैं। उन्होंने बताया कि वह महाराष्ट्र में 1987-88 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। उस वक्त उनके साथी हरी भारद्वाज व स्वर्गीय भूपेंद्र बंछोर गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित थे। ये सभी समाज के लिए कुछ करने का जज्बा रखते थे।

पढ़ाई पूरी कर बस्तर पहुंचे तो उन्होंने साथी नामक संगठन बनाया। इसके माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य क्षेत्रों में काम की शुरुआत की। अंचल के सुदूर इलाकों में पहुंचविहीन गांव होने से कुपोषण व शिशु मृत्यु दर में बढ़ोतरी हो रही थी। माड़ क्षेत्र के अधिकतर गांव तक महतारी या संजीवनी वाहनों की पहुंच नहीं होने से संस्थागत प्रसव नहीं हो पा रहा था। तब उनके दिमाग में बाइक एंबुलेंस बनाने का विचार आया।

शुरुआती दौर में उन्होंने उड़ीसा व आंध्र प्रदेश में मॉडिफाई वाहनों के बारे में जानकारी इकट्ठा की। इसके बाद सफलतापूर्वक बाइक एंबुलेंस का डिजाइन हैदराबाद में तैयार करवाया। इसमें करीब ढाई लाख रुपये का खर्च आया। अब तक संस्था एक हजार महिलाओं का सुरक्षित प्रसव करवा चुकी है।

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यूनिसेफ ने इसकी सराहना करते हुए मदद के लिए हाथ बढ़ाया। वे 150 सीसी की मोटरसाइकिल में एंबुलेंस की बॉडी तैयार करते हैं। इसके जरिए दूरदराज के क्षेत्रों से गर्भवती माताओं व महिलाओं को लाया जाता है। प्रति माह एक एंबुलेंस के मेंटनेंस पर 18 से 20 हजार रुपये खर्च होते हैं। उनकी इस पहल पर एनआइटी राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान भी काम कर रही है।

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