क्या टल गए हैं कमलनाथ सरकार पर मंडराते खतरे के बादल? जून में होगा कैबिनेट विस्तार

संक्षेप:

  • मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार अल्पमत में है, उसके पास बहुमत से दो विधायक कम हैं.
  • कमलनाथ के लिए इन दो लोगों को जुटाना मुश्किल नहीं है.
  • करारी चुनावी हार के बाद अब कमलनाथ सरकार अपनी कैबिनेट का विस्तार कर रही है.

भोपाल: मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार अल्पमत में है. उसके पास बहुमत से दो विधायक कम हैं. कमलनाथ के लिए इन दो लोगों को जुटाना मुश्किल नहीं है. कमलनाथ अगर शुरुआत में ही मंत्रिमंडल में बाहरी समर्थन दे रहे चार निर्दलीय और तीन बसपा-सपा विधायकों के प्रति उदारता रखते तो आए दिन मंडरा रहे खतरे के बादल पहले ही हवा हो जाते. करारी चुनावी हार के बाद अब कमलनाथ सरकार अपनी कैबिनेट का विस्तार कर रही है. प्रदेश में खाली पड़े निगम – मंडल में नियुक्तियां देने के लिए नाम तय हो रहे हैं, चार निर्दलीय और तीन सपा- बसपा के विधायक मिलकर कमलनाथ सरकार को बचाने की हालत में हैं.

दिग्विजय के साथ बैठक

माना जा सकता है कि कमलनाथ सरकार पर मंडराते खतरे के बादल टल गए हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पिछले दो दिन भोपाल में मैराथन बैठकें कर मंडराते खतरे को टाल दिया है. भोपाल से चुनाव हारने के बाद सिंह दिल्ली लौटने वाले थे लेकिन मुख्यमंत्री ने उन्हें रोक लिया था. विधायकों और मंत्रियों से वन- टू वन बातचीत कर सरकार बचाने का फार्मूला तय कर लिया गया है.

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नेतृत्व परिवर्तन के आसार नहीं

इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी में मुख्यमंत्रियों को निशाने पर लेने की खबर आई है, जिन्होंने अपने बेटों को चुनाव लड़वाया है लेकिन यह मामला भी ठंडा पड़ गया है. भारी उठापटक के दौर से गुजर रही कांग्रेस में फिलहाल मध्यप्रदेश में नेतृत्व बदलने के कोई आसार नहीं है.

सिर्फ बेटे की जीत

कमलनाथ के मुख्यमंत्री रहते हुए मध्यप्रदेश में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हुआ है. कमलनाथ सिर्फ अपने लोकसभा क्षेत्र से अपने बेटे को जीत दिलवा पाए हैं. बावजूद इसके कांग्रेस हाईकमान मध्यप्रदेश को लेकर कोई जोखिम नहीं ले सकती है. कांग्रेस की सबसे पहली प्राथमिकता अपनी सरकार बचाने की है. लीडरशीप का मुद्दा उछालकर कांग्रेस अपनी सरकार को अस्थिर नहीं कर सकती. हालांकि मध्यप्रदेश ही नहीं राजस्थान, छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस बुरी तरह साफ हुई है. जिसे देखते हुए कांग्रेस फिलहाल अपनी सरकारों को बचाने की कोशिश में जुटी है.

विधायकों ने कहा- फ्लोर टेस्ट करवा लें

चुनावी हार के बाद कमलनाथ ने विधायकों की बैठक ली. जिसमे खुलकर कहा कि आप लोगों ने मुझे नेता चुना है. भाजपा अल्पमत सरकार बताकर माहौल खराब कर रही है. आप कहें तो मैं नेता पद छोड़ दूं. इस पर विधायकों ने एकजुट होकर कहा कि सरकार पर कोई खतरा नहीं है. आप चाहे तो फ्लोर टेस्ट करवा लें. राज्यपाल के यहां परेड करवा दें.

जून में होगा कैबिनेट का विस्तार

चर्चा है कि जून के पहले सप्ताह में कमनलाथ नए मंत्रियों को शपथ दिलवाएंगे. ऐसे कांग्रेसी मंत्री जिन्होंने अपने क्षेत्र में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है उनकी छुट्‌टी हो सकती है. चुनावी हार का सीधा असर मंत्रियों के वजन पर पड़ने वाला है. कमलनाथ, सिंधिया, दिग्वजिय के समर्थक मंत्रियों को मिले खास मंत्रालय अब झटके जा सकते हैं. निर्दलीय और सपा- बसपा विधायकों को साधना अब कमलनाथ की पहली प्राथमिकता होगी.

सरकार पांच साल पूरे करेगी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मंत्री केपी सिंह के मुताबिक, सारे विधायक और मंत्री एक साथ हैं. सरकार पर कोई खतरा नहीं है. भाजपा नेताओं के संपर्क में रहने की जो बातें उठ रही हैं वह गलत हैं. कमलनाथ मजबूती से अपना कार्यकाल पूरा करेंगे.

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