जानिए देहरादून की ये 10 ऐतिहासिक बातें जो आपने नहीं सुनी होगी

संक्षेप:

  • देहरादून का रहा है गौरवशाली पौराणिक इतिहास
  • प्राकृतिक सौंदर्य से पर्यटकों को लुभाता है यह शहर
  • ‘डेरा’ शब्द से बना है देहरादून का नाम 

 

देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरा यह शहर अपनी सुंदरता से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

देहरादून दो शब्दों देहरा और दून से मिलकर बना है। इसमें देहरा शब्द को डेरा का अपभ्रंश माना गया है। जब सिख गुरु हर राय के पुत्र राम राय इस क्षेत्र में आए तो अपने तथा अनुयायियों के रहने के लिए उन्होंने यहाँ अपना डेरा स्थापित किया। इस शहर का विकास इसी डेरे का आस-पास प्रारंभ हुआ। इस प्रकार डेरा शब्द के दून शब्द के साथ जुड़ जाने के कारण यह स्थान देहरादून कहलाने लगा।

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हर की पैड़ी

रामायण काल से देहरादून के बारे में विवरण आता है कि रावण के साथ युद्ध के बाद भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण इस क्षेत्र में आए थे। द्रोणाचार्य से भी इस स्थान का संबंध जोड़ा जाता है। पुराणों मे देहरादून जिले के जिन स्थानों का संबंध रामायण एवं महाभारत काल से जोड़ा गया है उन स्थानों पर प्राचीन मंदिर तथा मूर्तियाँ अथवा उनके भग्नावशेष प्राप्त हुए हैं।

महाभारत की लड़ाई के बाद भी पांडवों का इस क्षेत्र पर प्रभाव रहा और हस्तिनापुर के शासकों के अधीनस्थ शासकों के रूप में सुबाहु के वंशजों ने यहां राज किया। सातवीं सदी में इस क्षेत्र को सुधनगर के रूप में प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी देखा था। यह सुधनगर ही बाद में कालसी के नाम से पहचाना जाने लगा।

मसूरी

देहरादून पर इस ओर से महमूद गजनवी, 1368 में तैमूरलंग, 1757  में रूहेला सरदार नजीबुद्दौला और 1785 में गुलाम कादिर के गंभीर हमले हुए।1801  तक देहरादून में अव्यवस्था बनी रही। 1816 के बाद अंग्रेज़ों ने इस पर विजय प्राप्त की और अपने आराम के लिए 1827-1828 में लंढोर और मसूरी शहर बसाए। 1970 के दशक में इसे गढ़वाल मंडल में शामिल किया गया। सन 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर बने उत्तरांचल और अब उत्तराखंड की राजधानी देहरादून को बनाया गया।

घंटाघर

इसी तरह उत्तराखंड की राजधानी देहरादून कई शासकों के आधीन रहा। यहां सांस्कृतिक धरोहर का एक अनूठा मेल है। जिस कारण देहरादून पर्यटकों के लिए एक अद्भुत जगह रही है। यहां की पर्वतीय श्रृंखलाएं और हरी-भरी वादियां पर्यटकों को हमेशा से लुभाते आई है। एतिहासिक तौर पर देहरादून अपने अंदर बहुमूल्य रत्न समाए हुए है।

दरबार गुरु राम राय

देहरादून में घूमते हुए आपको एहसास होगा यहां लड़ी गई नालापानी की लड़ाई का, नहरों का निर्माण करवाने वाली रानियां की, तख्त से गिराए राजाओं का और अनेकों कहानियों का। ये सभी अनुभव आपको रोमांचित करने के लिए काफी हैं। मशहूर शायर निदा फाजली देहरादून को सितारों का शहर कहा करते थे।

NYOOOZ आपको बताने जा रहा है 10 ऐसी ही ऐतिहासिक बातें...

1. देहरादून का नाम ‘डेरा’ शब्द से बना है। इसे 17वीं शताबदी में आए, 7वें सिख गुरु हर राय के बड़े पुत्र, गुरु राम राय ने बसाया था।

2. गुरु राम राय से काफी प्रभावित होने के कारण यह जमीन टिहरी के महाराजा ने औरंगजेब के आदेश पर दी थी।

औरंगजेब

3. देहरादून को अगर भौगोलिक मापदंड से देखा जाए तो यह कप नुमा आकार का दिखाई पड़ता है। जिसके कारण यह बादलों को अपने अंदर समाए रखता है। इसी वजह से देहरादून में कभी भी बारिश हो जाती है।

4. कई रियासतों के भाग होने के कारण, यह शहर कई विभाजन और जिलों जैसे मेरठ, सहारनपुर, कुमाऊं और गढ़वाल का हिस्सा रहा है। इसकी वजह रही है अंग्रेजों का शासन, क्योंकि देहरादून अलग-अलग आयुक्त और अधीक्षकों के आधीन हुआ करता था।

गुरु राम राय

5. देहरादून अंग्रेजों के समय भारत की राजधानी के लिए नामांकित था। इसका कारण था देहरादून की हरी-भरी वादियाँ जो कि ब्रिटिश शासकों को अपने घरों की याद दिलाया करता था।

शिलालेख

6. ईस्टर्न फॉरेस्ट रेंजर कॉलेज, एशिया का पहला फॉरेस्ट्री कॉलेज है। 1974 में भारत सरकार के कब्जे के बाद, अब यहां आईएफएस की ट्रेनिंग करवाई जाती है।

फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट

7. खलंगा युद्ध जो कि नालापानी के युद्ध के नाम से भी जाना जाता है। गोरखा और अंग्रेजों के बीच लड़ी गई थी, जिसमें गोरखा हार गये थे। जिसकी वजह से ही अंग्रेज पूरे उत्तर भारत पर कब्जा जमा पाए।

8. कालसी के पास स्थित शिलालेख से इस पर तीसरी सदी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक का अधिकार होने की सूचना मिलती है जो की पूरे उत्तर भारत में एकलौती है। कालसी, देहरादून और चकराता जाने वाले रास्ते में पड़ता है।

शिलालेख

9. देहरादून, यमुना और गंगा से समान दूरी पर स्थित है। देहरादून कुछ स्थानिय नदीयां जैसे बिंदाल, रिस्पना और सिसवा का जन्मस्थल है।

यमुना नदी

10. पूरे विश्व में सिर्फ देहरादून में ही हेक्सागोनल टावर स्थित है। इसकी नींव रखी थी यूपी की भूतपूर्व राज्यपाल श्रीमती सरोजिनी नायडू ने, जिसका उद्घाटन किया था भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने।

 

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