देश के बड़े पदों पर काबिज़ हैं उत्तराखंड के ये 6 लाल

संक्षेप:

  • ओम प्रकाश रावत होंगे देश के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त
  • देश के सर्वोच्च पदों पर सेवा दे रहे हैं 6 लाल
  • अजीत डोभाल है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

 

देहरादून: ओम प्रकाश रावत देश के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त होंगे। रावत 23 जनवरी 2018 को पदभार संभालेंगे। इसके साथ देश में बड़े पदों पर काम करने वाले उत्तराखंड के बेटों की लिस्ट में एक और नाम जुड़ गया। राज्य के ऐसे ही 6 नामों के बारे में हम आपको बता रहे हैं, जो वर्तमान समय में देश के सर्वोच्च पदों पर अपनी सेवा दे रहे हैं।

अजीत डोभाल

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पद पर उत्तराखंड के ही अजीत डोभाल है। उत्तराखंड के पौड़ी जिले के छोटे से गांव बनेलस्यु में जन्मे अजित डोभाल पीएम मोदी के खासमखास माने जाते हैं। राष्टीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल की शिक्षा अजमेर और आगरा से हुई। भारत सरकार के पाकिस्तान पर किये सर्जिकल स्ट्राइक में अजीत डोभाल की मुख्य भूमिका रही है।

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डोभाल के बारे में कहा जाता है कि वे एक ऐसे भारतीय हैं, जो खुलेआम पाकिस्तान को एक और मुंबई के बदले बलूचिस्तान छीन लेने की चेतावनी देने से गुरेज़ नहीं करता। एक ऐसा जासूस जो पाकिस्तान के लाहौर में 7 साल मुसलमान बनकर अपने देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहा हो। डोभाल भारत के ऐसे एकमात्र नागरिक हैं, जिन्हें शांतिकाल में दिया जाने वाले दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है।

2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) के चीफ पद से रिटायर हुए हैं। डोभाल सक्रिय रूप से मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे हैं। वह 6 साल पाकिस्तान में अंडरकवर एजेंट रहे। डोभाल ने पूर्वोत्तर में अंडर कवर आपरेशन चलाकर आतंकवादी कमांडरों से सरेंडर कराया था। ऑपरेशन ब्लूस्टार के 4 साल बाद 1988 अमृतसर के गोल्डन टेम्पल में पंजाब पुलिस की सहायता की। मंदिर मे आईएसआई के एजेंट बनकर घुसे और पुलिस को भीतर की मैपिंग करवाई। डोभाल ने म्यांमार स्ट्राइक में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जनवरी 2016 में हुए पठानकोट आतंकी हमले के काउंटर ऑपरेशन को डोभाल ने सफलतापूर्वक लीड किया था।

बिपिन रावत 

इसी के साथ देश की रक्षा के लिए तैनात थल सैना का नेतृत्व भी उत्तराखंड के ही बेटे के हाथ में है। भारतीय थल सेना प्रमुख बिपिन चंद्र रावत पौड़ी गढ़वाल से हैं। बिपिन चंद्र रावत ने 31 दिसंबर 2016 को थल सेनाध्यक्ष का पदभार संभाला था। अपनी पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत इस पद पर पहुंचे हैं। इससे पहले उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल एलएस रावत सेना में डिप्टी चीफ के पद से रिटायर्ड हुए थे। उनके पिता भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून के कमांडेंट भी रहे।

रावत सेना में तेज तरार अफसर के तौर पर जाने जाते हैं। 11वीं गोरखा राइफल्स से आने वाले रावत को कश्मीर और चीन सीमा में काम करने का लंबा अनुभव है। उन्हें इस पूरे इलाके का विशेषज्ञ माना जाता है। जनरल रावत ने सहसेनाध्यक्ष का पद संभालने से पहले सेना की दक्षिणी कमान के कमांडर का पद भी संभाला है। दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी से पासआउट होने वाले बैच के श्रेष्ठतम कैडेट रहे और उन्हें `स्वार्ड ऑफ ऑनर` मिला। लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल व विशिष्ट सेवा मेडल जैसे कई सम्मान से सम्मानित किये गए हैं।

अनिल धस्माना

देश की सबसे बड़ी खुफिया विभाग यानी रॉ के चीफ अनिल धस्माना भी उत्तराखंड से हैं। धस्माना पौड़ी के तौली गांव से हैं। अनिल बलुचितस्तान से लेकर इस्लामिक आतंकवाद तक के गहरे जानकार हैं। मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले अनिल धस्माना IPS बनने के बाद मध्य प्रदेश के अलग-अलग शहरों में तैनात रहे, लेकिन उन्हें पहचान मिली इंदौर वाली पोस्टिंग से। अनिल इंदौर में 1988 से 1991 तक एसपी रहे, जो बतौर एसपी उनकी पहली पोस्टिंग थी।

अनिल पाकिस्तान और इस्लाम से जुड़े मामलों के एक्सपर्ट हैं। रॉ से जुड़ने के बाद उन्होंने बलूचिस्तान पर बहुत काम किया। मौजूदा वक्त में सरकार के पास बलूचिस्तान को समझने और इससे जुड़ी रणनीति तैयार करने के लिए धस्माना से बेहतर कोई अफसर नहीं है। धस्माना काउंटर-टेररिज्म और इस्लामिक मामलों के बड़े जानकार हैं। वह लंदन और फ्रैंकफर्ट सहित प्रमुख स्थानों पर अपनी सेवांए दे चुके हैं और सार्क और यूरोप डेस्क भी संभाल चुके हैं। धस्माना NSA अजीत डोभाल के विश्वासपात्र माने जाते हैं।

राजेंद्र सिंह 

भारतीय तटरक्षक बल यानी कोस्ट गार्ड के डायरेक्टर जनरल के पद पर इस वक्त उत्तराखंड के ही लाल का कब्जा है। राजेंद्र सिंह उत्तराखंड के चकराता से हैं। उन्होंने 2016 में ही कार्यभार संभाला था। राजेंद्र सिंह ने गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल से ग्रेजुएशन किया है। उन्होंने 1980 में कोस्ट गार्ड ज्वाइन किया था।

अनिल कुमार भट्ट

लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) के पद पर उत्तराखंड का मान बढ़ा रहे हैं। मूल रूप से अनिल कुमार भट्ट टिहरी गढ़वाल के रहने वाले हैं और वे लेफ्टिनेंट जनरल रणवीर सिंह की जगह डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) नियुक्त किए गए हैं।

टिहरी गढ़वाल के बाद उनका परिवार लंबे समय से मसूरी में रह रहा है। भट्ट ने मसूरी के हेपटनकोर्ट से शुरुआती शिक्षा ली और 12वीं तक की पढ़ाई कान्वेंट स्कूल सेंट जार्ज कॉलेज से पूरी की।

ओम प्रकाश रावत

सरकार द्वारा ओम प्रकाश रावत को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाने की घोषणा कर दी गई है। जिसके बाद वे 23 जनवरी 2018 को पदभार संभालेंगे। ओम प्रकाश रावत का जन्म 2 दिसंबर 1953 में झांसी में हुआ था। ओम प्रकाश रावत उत्तराखंड के उत्तरकाशी से जुड़े बताये जाते हैं। रावत के दादा परदादा उत्तराखंड से ही हैं। हालांकि कहा जाता है कि वे कभी पहाड़ों में नहीं रहे लेकिन बावजूद इसके पहाड़ों से उनका बेहद लगाव है।

ओम प्रकाश रावत मध्य प्रदेश काडर के आइएएस ऑफिसर हैं। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले रावत को चुनाव आयुक्त बनाया गया था। चुनाव आयुक्त बनने से पहले वो केंद्र में सचिव थे। दो दिसंबर, 1953 को जन्मे रावत 1977 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं। ओम प्रकाश रावत मध्य प्रदेश काडर के आईएएस ऑफिसर हैं।

चुनाव आयुक्त बनने से पहले वो केंद्र में सचिव थे। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले रावत को चुनाव आयुक्त बनाया गया था। ओपी रावत के चुनाव आयुक्‍त के कार्यकाल में बिहार, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर, गोवा, उत्‍तर प्रदेश, गुजरात और हिमाचल प्रदेश आदि राज्‍यों के चुनाव हुए हैं।

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