200 करोड़ की शाही शादी के बाद औली में चारो तरफ कचरा ही कचरा, HC ने गुप्ता फैमिली से जताई थी आपत्ति
- पांच दिनों के समारोह के बाद औली की पहाड़ियों पर हर तरफ कचरा फैल गया.
- कचरे को साफ करने के लिए अब जोशीमठ नगर पालिका परिषद के कर्मचारियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.
- शाही शादी के इस आयोजन पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आपत्ति जताई थी.
औली: उत्तराखंड के औली में दक्षिण अफ्रीका के गुप्ता बंधुओं के बेटों की शादी का समारोह 5 दिन तक चला. पांच दिनों के समारोह के बाद औली की पहाड़ियों पर हर तरफ कचरा फैल गया. कचरे को साफ करने के लिए अब जोशीमठ नगर पालिका परिषद के कर्मचारियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.
18 जून से 22 जून का मेगा इवेंट था गुप्ता ब्रदर्स की बेटियों की शादी
दक्षिण अफ्रीका की राजनीति में प्रभावशाली माने जाने वाले गुप्ता बंधुओं के बेटे सूर्यकांत और शशांक गुप्ता की शादी का समारोह 18 जून से 22 जून के बीच औली में आयोजित किया गया था. अजय गुप्ता के बेटे सूर्यकांत की शादी 20 जून को डायमंड कारोबारी सुरेश सिंघल की बेटी कृतिका सिंघल से हुई, जबकि 22 जून को अतुल गुप्ता के बेटे शशांक की शादी दुबई के बिजनेसमैन विशाल जालान की बेटी शिवांगी जालान से हुई. मीडिया में चर्चा है कि 200 करोड़ की इस शाही शादी में स्विट्जरलैंड से फूल मंगाए गए थे.
Uttarakhand: Work underway by Municipal Corporation to clean up the garbage and waste left behind in Auli after the marriage of members of the Gupta family of South Africa, at the hill station held between 18 to 22 June. pic.twitter.com/lsIEnaOLqY
— ANI (@ANI) June 23, 2019
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कचरा साफ करने में जुटी नगर पालिका
5 दिनों तक चली शाही शादी से आयोजन स्थल पर बहुत सारा कचरा इकट्ठा हो गया. जोशीमठ नगर पालिका परिषद के कर्मचारी कचरे को साफ करने में जुटे हैं. पंडाल बनाने के लिए दूसरे शहरों से लाया गया सामान अब वापस ले जाया जा रहा है.
हाईकोर्ट ने जताई थी आपत्ति
गौरतलब है कि शाही शादी के इस आयोजन पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि आयोजन से आस-पास के पर्यावरण को कोई नुकसान न हो. हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद से स्थानीय प्रशासन और उत्तराखंड प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड इस समारोह की कड़ी निगरानी कर रहा था. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद, यहां आने वाले मेहमानों का हेलीकॉप्टर औली की बजाय जोशीमठ में उतारा गया, जिससे स्थानीय पर्यावरण को नुकसान न हो.
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