बायोफ्यूल से उड़ने वाले विमान का सफल परीक्षण, देहरादून से उड़ान भरकर दिल्ली एयरपोर्ट पर हुआ लैंड

संक्षेप:

  • भारत में पहली बार बायोफ्यूल से उड़ा विमान
  • ऐसा करने वाला पहला विकासशील देश
  • 20 लोगों ने डेढ़ महीने दिन-रात किया काम

पहली बार बायोफ्यूल से विमानउड़ाकर भारत ने एविएशन इंडस्ट्री में नया मुकाम हासिल कर लिया है। स्पाइसजेट ने रविवार को बायोफ्यूल से उड़ने वाले विमान का सफल परीक्षण किया। सोमवार को विमान देहरादून से उड़ान भरकर दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल-2 पर लैंड हुआ।

यहां विमान का स्वागत करने के लिए केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, नितिन गडकरी, धर्मेंद्र प्रधान और सुरेश प्रभु मौजूद थे। विमान में 25% बायो फ्यूल के साथ एयर टर्बाइन फ्यूल की 75% मात्रा मिलाई गई थी। बायो फ्यूल जट्रोफा (रतनजोत) के बीज से बना है। अमेरिका-आॅस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों में यह प्रयोग सफल रहा है। इससे उड़ान की लागत में 20% तक कमी आएगी।

2012 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम (आईआईपी) ने कनाडा की मदद से वहां बायोफ्यूल से उड़ान का सफल प्रयोग किया था, लेकिन इस बार भारत ने अपने दम पर सफलतापूर्वक प्रयोग पूरा किया। इस 78 सीटर विमान में आईआईपी के निदेशक अंजन रे, केटालिसिस डिविजन की प्रमुख अंशु नानौती, छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल डेवलपमेंट अथॉरिटी के प्रोजेक्ट अफसर सुमित सरकार समेत प्रोजेक्ट से जुड़े तमाम अफसर मौजूद थे।

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अनिल सिन्हा ने की पहल

2012 में पेट्रोलियम विज्ञानी अनिल सिन्हा ने जट्रोफा के बीज के कच्चे तेल से बायोफ्यूल बनाने की टेक्नोलॉजी का पेटेंट कराया। इस फ्लाइट में इस्तेमाल हो रहा फ्यूल उन्हीं की टेक्नोलॉजी व निगरानी में बना है। कर्नाटक बायोफ्यूल डेवलपमेंट बोर्ड के सीईओ रहे वाईबी रामाकृष्ण ने बड़े पैमाने पर बायोफ्यूल तैयार करके दिखाया।

फ्लाइट के लिए आखिर में तैयार हुई स्पाइसजेट

2009 में किंगफिशर ने दिलचस्पी दिखाई, लेकिन अपने घाटों की वजह से वह पीछे हट गई। फिर जेट एयरवेज सामने आई। उसके बाद एयर इंडिया ने कोशिश की। इंडिगो ने भी दिलचस्पी दिखाई, लेकिन प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ाया। आखिर में स्पाइसजेट तैयार हुई। उसके पास उसी इंजन के प्लेन हैं, जिनमें दूसरे देशों में बायोफ्यूल का सफल प्रयोग हो चुका है।

20 लोगों ने डेढ़ महीने दिन-रात किया काम

आईआईपी के निदेशक अंजन रे ने कहा- बायोफ्यूल को अपनी ही लैब में तैयार किया गया है। लैब की क्षमता एक घंटे में 4 लीटर बायोफ्यूल बनाने की है। इसके लिए छत्तीसगढ़ में 500 किसानों से जट्रोफा के दो टन बीज लिए गए, जिनसे 400 लीटर फ्यूल बना। इस पर डेढ़ महीने तक 20 लोग दिन-रात काम करते रहे। 300 लीटर बायोफ्यूल के साथ 900 लीटर एटीएफ विमान के राइट विंग में भरा जाएगा। लेफ्ट विंग में 1200 लीटर एटीएफ इमरजेंसी के लिए रहेगा।

20 फीसदी तक कम होगा उड़ान का खर्च

1) अगर विमान में बायोफ्यूल इस्तेमाल होने लगा तो हर साल 4000 टन कार्बन डाई ऑक्साइड एमिशन की बचत होगी। आॅपरेटिंग लागत भी 17% से 20% तक कम हो जाएगी।

2) भारत में बायोफ्यूल का आयात तेजी से बढ़ रहा है। 2013 में 38 करोड़ लीटर बायोफ्यूल की सप्लाई हुई, जो 2017 में 141 करोड़ लीटर तक पहुंच चुकी थी।

3) कुल कार्बन डाई ऑक्साइड एमिशन में एयर ट्रैवल की भूमिका 2.5% है, जो अगले 30 साल में चार गुना तक बढ़ सकती है। बायोफ्यूल इसी एमिशन पर काबू रख सकता है।

देश में 400 किस्म के बीजों से बन सकता है बायोफ्यूल

देश में खेती के लिए 190 मिलियन हेक्टेयर जमीन उपलब्ध है, जबकि सिंचाई सिर्फ 80 मिलियन हेक्टेयर जमीन पर हो रही है। इसमें 40 मिलियन हेक्टेयर जमीन पर साल में दो फसलें होती हैं। बाकी 40 मिलियन हेक्टेयर जमीन वाले किसानों के पास बायोफ्यूल के लिए बीज तैयार करने का विकल्प हैं।

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