एनएच-74 घोटाले की जांच से सीबीआई ने किया इनकार

संक्षेप:

  • एनएच-74 घोटाले में नया मोड़
  • 300 करोड़ के NH 74 घोटाले में अब नहीं होगी CBI जांच
  • जानिए क्या है पूरा मामला

देहरादून: एनएच-74 घोटाले को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। इस मामले में केंद्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने सीबीआई जांच से इनकार कर दिया है।

डीओपीटी ने राज्य के गृह विभाग को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि एनएच-74 मुआवजा घोटले में सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। पत्र के बाद एनएच-74 घोटाले में सीबीआई जांच को लेकर सभी संशय समाप्त हो गए।

वहीं, डीओपीटी के इनकार करने के बाद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि सीबीआई जांच करे या ना करे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि राज्य में गठित एसआइटी ने ही लगभग 20 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है और वो अच्छा काम कर रही है।

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जानिए क्या है पूरा मामला...

आपको बता दें कि तत्कालीन कुमाऊं कमिश्नर डी सेंथिल पांडियन ने एनएच-74 में 300 करोड़ रुपये से अधिक के मुआवजा घोटला का खुलासा किया था। जिसे राज्य का उस वक्त का सबसे बड़ा घोटला कहा गया था। मामला तब और सुर्खियों में आ गया, जब सत्ता संभालते ही सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत में इस घोटले की जांच सीबीआई से कराने की बात कही थी।

सीबीआई जांच की सिफारिश के कुछ दिन बाद ही केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सीएम रावत को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि इस मामले की सीबीआई जांच ना कराई जाए। गडकरी ने कहा था कि सीबाआई जांच से एनएच के अधिकारियों के मनोबल पर प्रभाव पड़ेगा, जिससे प्रदेश में चल रहे कई काम प्रभावित होंगे।

नितिन गडकरी के पत्र को लेकर कांग्रेस ने सड़क से लेकर सदन तक सरकार के खिलाफ काफी हंगामा किया था। हंगामे के बाद सीएम ने कहा था कि इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराई जाएगी। सीबीआई के जांच स्वीकार किए जाने तक राज्य में एसआईटी का गठन किया गया था जो अभी तक 20 से ज्यादा प्रशानिक अधिकारियों को गिरफ्तरी कर चुकी है।

वहीं, डीओपीटी के पत्र के बाद राज्य सरकार एक बार फिर विपक्ष ने निशाने पर आ गई है। इस मामले पर कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि सरकार कभी चाहती ही नहीं थी की इस मामले में सीबीआई जांच हो। ये आदेश किसी और का नहीं बल्कि खुद नितिन गडगरी का था। केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार है यदि वो चाहती तो जांच एजेंसियां इस मामले में ना नहीं कर सकती थीं।

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