सीएम रावत बोले- प्रदेश झेल चुका है 2 सालों में 38 भूकंप

संक्षेप:

  • देहरादून में आपदा प्रबंधन कार्यशाला
  • आपदा प्रबंधन को लेकर कई एक्सपर्टों ने दी राय
  • सीएम बोले- प्रदेश झेल चुका है कई प्राकृतिक आपदा

 

देहरादून: देहरादून में `हिमालय क्षेत्र में आपदा सुरक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर : संभावनाएं एवं चुनौतियां` का दो दिवसीय आयोजन शुरू हुआ। जिसमें प्रदेश में आपदा प्रबंधन को लेकर कई एक्सपर्टों ने अपनी राय दी। वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि 2 साल में प्रदेश में लगभग 38 हल्के भूकंप आए हैं।

इसी आयोजन में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि पिछले 2 वर्षों में उत्तराखंड में 38 हल्के भूकंप आए हैं। इसी के साथ ये प्रदेश कई प्राकृतिक आपदाओं को झेल चुका है। निश्चित रूप से पर्यावरणीय असंतुलन ही इन घटनाओं का जिम्मेदार रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बचाव उपचार से बेहतर होता है। आपदाओं से बचने के लिए सबसे बेहतर तरीका है कि हम उनकी तैयारी रखें। उन्होंने कहा कि भवन निर्माण शैली, पर्यावरण का ध्यान और लगातार सतर्कता यह तीन बातें हमें सदैव ध्यान में रखनी चाहिए।

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पर्वतीय क्षेत्रों में उन्होंने परंपरागत वास्तु शैली की तारीफ भी की। उत्तरकाशी के भूकंप का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि यमुना घाटी में पुराने निर्माण शैली के भवनों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था।

भारत सरकार के एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड के सदस्य प्रोफेसर हर्ष कुमार गुप्ता ने कहा कि भूकंपों के पूर्वानुमान से कहीं अधिक आवश्यक इनके लिए तैयार होना है। उन्होंने कहा कि भूकंपों का सबसे अधिक नुकसान प्रायः स्कूलों में देखा जाता है। अतः ये आवश्यक है कि इन की तैयारी बच्चों से शुरू की जाए।

वहीं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रो फिजिक्स के प्रोफेसर वी के गौर ने कहा कि हिमालय क्षेत्रों में मैदानी क्षेत्रों से अलग बिल्डिंग डिजाइंस और मटेरियल का प्रयोग होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्वतीय पारिस्थिति के अनुसार भवनों की डिजाइन होना चाहिए। हिमालय के राज्य दुनिया की नकल करें ये जरूरी नहीं है।

2 दिन चलने वाली इस कार्यशाला में उद्घाटन सत्र और समापन सत्र के अतिरिक्त 3 तकनीकी सत्र भी होंगे, जिनमें देश-विदेश से ख्याति प्राप्त विषय विशेषज्ञ, पर्यावरणविद, वास्तु शास्त्री अपने विचार रखेंगे। 

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