राजीव गांधी को बेहद पसंद थी उत्तराखंड की ये जगह

संक्षेप:

  • राजीव गांधी की 27वीं पुण्यतिथि आज
  • राजीव गांधी का उत्तराखंड से रहा है गहरा नाता
  • दून स्कूल से की 12वीं तक की पढ़ाई

देहरादून: आज राजीव गांधी की 27वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर पूरा देश उनको याद कर रहा है। भारत के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी का उत्तराखंड से गहरा नाता रहा है।

राजीव गांधी ने देहरादून के दून स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की। बताया जाता है कि राजीव गांधी अपने स्कूली दिनों में बेहद शर्मीले स्वभाव के थे। पढ़ाई के दौरान उनके लोकल गार्जियन हुआ करते थे प्रोफेसर हरि दत्त भट्ट शैलेश। जानकार मानते हैं कि 12वीं की पढ़ाई करने के बाद जब वह वापस अपने घर लौटे तो उसके बाद भी उनका उत्तराखंड में आना-जाना लगा रहा।

राजीव गांधी को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित हर्षिल बेहद पसंद था। बताया जाता है कि राजीव गांधी अक्सर अपने नाना जवाहरलाल नेहरु और मां इंदिरा गांधी के साथ उत्तराखंड घूमने आया करते थे। बताया जाता है कि एक बार राजीव गांधी और संजय गांधी हर्षिल की वादियों में भटक भी गए थे। उस दौरान सेना के जवानों ने उन्हें ढूंढा था।

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राजीव के साथ-साथ पूरे गांधी परिवार को हर्षिल पसंद है। गांधी परिवार अधिकतर हर्षिल में फेड्रिक विल्सन के बंगले पर आकर रुका करते थे। शायद यही कारण है कि ठीक उसी जगह पर उनके बेटे राहुल गांधी और परिवार के दूसरे सदस्य आज भी हर्षिल में घूमने आते रहते हैं। 

देहरादून में पढ़ाई के वक्त राजीव गांधी को दून घाटी इतनी पसंद आ गई थी कि प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने पर्यावरण को देखते हुए देहरादून के लिए कई बड़े फैसले लिए थे। उस दौरान दून घाटी में चूने की खदान का काम जोरों पर था। लिहाजा पर्यावरण के नुकसान को देखते कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से उस वक्त चूने की सभी खदानों पर रोक लगा दी थी।

राजीव गांधी का उस वक्त उत्तराखंड के लोगों के भी बड़े प्रिय थे। सत्ता के लिए चुनाव उन्होंने चुनाव लड़ा था तब उत्तराखंड की पांचों सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। 

चुनावों में जीत का जश्न हो या कोई दूसरा खुशी का मौका राजीव गांधी हमेशा उत्तराखंड की वादियों का रुख करते थे। राजीव गांधी ने अपनी मां यानी इंदिरा गांधी के देहांत हो जाने के बाद उनकी अस्थियां विसर्जित करने के लिए उत्तराखंड का गंगोत्री धाम चुना था। लेकिन, उस वक्त राजीव गांधी हेलीकॉप्टर से नीचे नहीं उतरे, उन्होंने आसमान में उड़ते हुए ही हेलीकॉप्टर से इंदिरा गांधी की अस्थियों को विसर्जित कर दिया था।

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