देहरादून जेल में सरेंडर करेगा बाहुबली डीपी यादव, जानिए पूरा मामला

संक्षेप:

  • सुप्रीम कोर्ट का आदेश
  • देहरादून जेल में सरेंडर करेगा बाहुबली डीपी यादव
  • जानिए कौन है डीपी यादव?

देहरादून: यूपी के बाहुबली नेता डीपी यादव को सुप्रीम कोर्ट ने 19 नवंबर को देहरादून जेल में सरेंडर करने का निर्देश दिया है. डीपी यादव 1992 में गाजियाबाद के विधायक की हत्या के मामले में देहरादून की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं.

आपको बता दें कि डीपी यादव ने 1992 में रेल फाटक के पास एके 47 से विधायक महेंद्र सिंह भाटी की हत्या कर दी थी. जिसके बाद ये मामला सीबीआई की टीम को सौंपा गया था. सीबीआई ने 28 फरवरी 2015 को डीपी यादव सहित चार अन्य लोगों के खिलाफ हत्या और हत्या का षड्यंत्र रचने की चार्जशीट दाखिल कर हत्या का दोषी करार दिया था.

डीपी यादव देहरादून की जेल में बंद था. उन्होंने अपनी बीमारी का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से सर्जरी कराने के लिए जमानत मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछली 18 सितंबर को डीपी यादव को सर्जरी कराने के लिए 15 दिन की
अंतरिम जमानत दी थी.

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सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद यादव का ऑपरेशन ऋषिकेश एम्स अस्पताल में होना था लेकिन उन्हें हार्ट की बीमारी का भी इलाज कराना था जिसके लिए वह गाजियाबाद के यशोदा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती हुए. इसी बीच उसे वायरल बुखार हो गया, जिसके बाद उनकी सर्जरी नहीं हो पाई थी.

सर्जरी नहीं होने के कारणों का पता लगाने के बाद कोर्ट ने अस्पताल के डॉक्टर की रिपोर्ट पर उन्हें सर्जरी की अनुमति दी थी. 19 अक्टूबर को डीपी यादव की स्पाइनल सर्जरी हुई. बताया जा रहा है कि यादव 3 नवंबर को अस्पताल से डिस्चार्ज हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, डीपी यादव 3 नवंबर को अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद 2 हफ्ते अपने परिवार के साथ रहेगा और 19 नवंबर को देहरादून जेल में सरेंडर करेगा. 

कौन है डीपी यादव?
नोएडा के सर्फाबाद गांव में डीपी यादव का जन्म महाशय तेजपाल के घर हुआ था. पिता कई बार लगान देने के विरोध में जेल भी गए थे.
आर्य समाजी परिवार में पले बढ़े डीपी ने अपने नाम के पीछे यादव की जगह आर्य जोड़ लिया था. पढ़ाई में ज्यादा रुचि नहीं थी इसलिए दूध का कारोबार शुरू किया लेकिन ज्यादा दिन तक यह कारोबार रास नहीं आया. कुछ ही समय में यादव किशन लाल का नजदीकी और बिजनेस पार्टनर बन गया.
दोनों जोधपुर से कच्ची शराब लाते और पैकिंग के बाद अपना लेबल लगा कर उसे आसपास के राज्यों में बेचते थे. इस बीच डीपी यादव ने अपनी टीम बनाई. जगदीश पहलवान, कालू मेंटल, परमानंद यादव, श्याम सिंह, प्रकाश पहलवान, शूटर चुन्ना पंडित, सत्यवीर यादव, मुकेश पंडित और स्वराज यादव डीपी के खास गुर्गे बन गए.

1990 के आसपास कच्ची शराब पीने से हरियाणा में 128 लोगों की मौत हो गई. जांच के बाद डीपी यादव को दोषी मानते हुए हरियाणा पुलिस ने उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. दो दर्जन से अधिक आपराधिक मुकदमों के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घातक सिद्ध होने पर 1991 में डीपी यादव पर एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) के तहत भी कार्रवाई हुई. 1992 में अपने राजनीतिक गुरू दादरी क्षेत्र के विधायक महेंद्र सिंह भाटी की हत्या करा दी. इसके बाद गैंगवार शुरू हुआ, जिसमें डीपी के गुर्गों ने कई लोगों को मारा. डीपी पर हत्या के 9 और डकैती के 2 मामलों के साथ अपहरण और फिरौती वसूलने के तमाम मुकदमे दर्ज हैं. ज्यादातर मामले हरियाणा, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, बुलंदशहर और बदायूं जिले में दर्ज हैं. डीपी का बेटा विकास यादव चर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड में जेल की सजा काट रहा है. उसका एक और बेटा है जो उसका बिजनेस संभालता है.  डीपी यादव विधायक और सांसद भी रह चुका है.

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