नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी अतिक्रमण हटाना हो रहा मुश्किल

संक्षेप:

  • देहरादून में अतिक्रमण हटाना साबित हो रहा टेढ़ी खीर
  • बीजेपी के ही विधायक लगा रहे हैं अड़ंगा
  • हाईकोर्ट ने दिया है अतिक्रमण हटाने का आदेश

देहरादून: नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के बाद देहरादून में अतिक्रमण हटाना शासन-प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि प्रशासन की इस कार्रवाई को रोकने में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के ही विधायक अड़ंगा लगा रहे हैं।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद से ही कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के नेता लगातार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में बाधा बन रहे हैं। जिसके कारण प्रशासन को अतिक्रमण हटाने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

आज जिला प्रशासन अपने तय कार्यक्रमानुसार प्रेमनगर क्षेत्र में अतिक्रमण पर कार्रवाई करने पहुंचा। लेकिन बीजेपी के चार विधायक हरबंश कपूर, गणेश जोशी,उमेश शर्मा (काऊ) व खजानदास सहित कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, लाल चंद सहित कई अन्य नेता प्रेमनगर में अतिक्रमण पर हो रही कार्रवाई के खिलाफ सड़क किनारे धरना दे रहे व्यापारियों के समर्थन में बैठ गये। जिसके कारण प्रेमनगर में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पूरी नहीं की जा सकी।

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इतना ही नहीं स्थानीय लोगों द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी के विधायकों ने प्रेमनगर के व्यापारियों को आश्वासन दिया है कि जब तक हम हैं अतिक्रमण पर कोई कार्रवाई की चिंता ना करें।

देहरादून जिले में अतिक्रमण की बात करें तो प्रेमनगर एक ऐसा कैंट इलाका है जहां सबसे ज्यादा सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया गया है।  जिसके चलते भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) की सुरक्षा भी दांव पर लगी है। इसके अलावा प्रेमनगर के बीचों-बीच चकराता हाई वे मार्ग हैं जो हिमाचल,हरियाणा सहित पंजाब को जाता है। साथ ही प्रेमनगर चुंगी पर बोटल नेक है, जो हमेशा ट्रैफिक की समस्या से जूझता रहता है। इन सबके बावजूद यहां अतिक्रमण बदस्तूर जारी है। जब भी यहां कार्रवाई  की बारी आती हैं तो राजनेताओं के हस्तक्षेप के चलते ये जनहित का कार्य रुक जाता है।

आपको बता दें की कभी अपनी मनमोह लेने वाली प्राकृतिक सुंदरता व शांत फिजाओं के लिए देश-दुनिया में अपनी अलग पहचान रखने वाले देहरादून शहर आज की तारीख में बेहताशा अतिक्रमण के चलते अपनी पहचान तेज़ी से खोता जा रहा है।  इस मामले पर 2014 में एक जनहित याचिका के मध्यनजर नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा मामलें में संज्ञान लिया। लंबी सुनवाई के बाद 27 जून 2018 को न्यायालय ने फैसला दिया।  जिसमें कोर्ट ने सीधे तौर पर उत्तराखंड के मुख्य सचिव को जवाबदेह बनाकर सरकारी जमीन पर हुए अतिक्रमण पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। जिसके बाद शासन-प्रशासन ने मुस्तैदी दिखाते कार्रवाई शुरू तो कि लेकिन राज्य में सत्ताधारी पार्टी के विधायक सहित विपक्ष के कांग्रेस नेता लगातार प्रशासन की कार्रवाई में अड़ंगा लगा रहे हैं।

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