शादी का सीजन होने वाला है शुरू, लेकिन इस बात का रखें ध्यान

संक्षेप:

  • जल्द ही विवाह का सीजन एक बार फिर होगा शुरू
  • 19 जून को पड़ रहा है पहला मुहूर्त
  • पुरुषोत्तम मास में नहीं होता किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य

जल्द ही विवाह का सीजन एक बार फिर से शुरू हो जाएगा। जी हां! पहला मुहूर्त 19 जून को पड़ रहा है। 16 मई से शुरू हुआ पुरुषोत्तम मास 13 जून को समाप्त होगा। शुद्घ ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष में विवाहों के कई मुहूर्त हैं।

पुरुषोत्तम मास में किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य नहीं होता। पहला विवाह 19 जून को होगा। विवाहों का यह सीजन 22 जुलाई तक चलता रहेगा। 23 जुलाई को देवशयनी एकादशी पड़ेगी, जिसके बाद विवाहों पर 4 महीने का विराम लग जाएगा। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक ज्येष्ठ मास में बड़े बेटे और बड़ी कन्या का विवाह नहीं होता।

ज्योतिष शास्त्र और परंपरा के अनुसार एक गोत्र में विवाह निषेध है। धर्मशास्त्र के प्रमुख ग्रंथ धर्मसिंधु एवं निर्णयसिंधु की मान्यता है कि सगे भाई-बहन के विवाह छह महीने के भीतर नहीं करने चाहिए। जो लोग भाई एवं बहन के विवाह एक साथ करते हैं वह सभी शास्त्रों के विरुद्घ है। अलबत्ता यदि एक विवाह के बाद छह महीने के भीतर दूसरा संवत लग जाए तो विवाह संभव है।

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मान्यता है कि एक ही गोत्र में विवाह होने से संतान में जींस संबंधी दोष रह जाते हैं। इसी प्रकार विवाह के छह महीने बाद तक मुंडन और यज्ञोपवीत आदि संस्कार नहीं करने चाहिए। दो सगी बहनों का विवाह दो सगे भाइयों से करना भी शास्त्र विरुद्घ है। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक जुड़वा भाई बहनों के विवाह एक ही मंडप में किए जा सकते हैं। बड़े पुत्र के उत्पन्न होने के बाद छह महीने तक कोई विवाह नहीं करना चाहिए।

इसी प्रकार शास्त्र कहता है कि घर में मृत्यु होने पर एक वर्ष विवाह नहीं होता। विवाह के अलावा कोई शुभ कार्य भी नहीं होता। कन्या का विवाह सम तिथियों में और पुत्र का विवाह विषय तिथियों में शुभ माना गया है। इसके विपरीत विवाह करने से दांपत्य जीवन में कुछ कठिनाइयां आती हैं।

विवाह में मुहूर्त का विशेष अर्थ है। उन्होंने बताया कि दुर्भाग्य से पंडित या ज्योतिष द्वारा निकाले गए विवाह के दिन तो सभी विवाह करते हैं, किंतु  संस्कार के लिए जो मुहूर्त सुझाया गया है, उसका कोई संज्ञान नहीं लेता। शुभ मुहुर्त में हुए फेरे लंबे और सुखी जीवन का संदेश देते हैं।

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