वीकेंड पर जाएं थानो, आंखों को सुकून देंगे हरे-भरे खिलखिलाते खेत

संक्षेप:

  • शहर के प्रभाव से बचा हुआ है थानो
  • रायपुर के महाराणा प्रताप चौक से पहुंच सकते हैं यहां
  • पहले देहरादून घाटी में आने का एकमात्र रास्ता होता था थानो

 

देहरादून: विरासत की धरोहर को सिर्फ किताबों से समझना मुमकिन नहीं है। इसके लिए उस जगह पर जाकर उसको देखना और जनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है। देहरादून शहर स्मार्ट बनने के संदर्भ में अपने सौंदर्य को कहीं न कहीं पीछे छोड़ता चला जा रहा है। साथ ही अपनी पौराणिक धरोहर को भी इस कंक्रीट के जंजाल से खोता चला जा रहा है। परंतु देहरादून की सीमाओं में अभी भी कुछ गांव है जो इस धरोहर को सांस्कृतिक एवं वास्तु को अपने जेहन में समेटे हुए है।

थानो इसी अवलोकन का एक बेहतरीन उदाहरण है। थानो उन गिने चुने जगहों में से है जो अभी भी शहर के प्रभाव से अपने आप को बचाय हुए है। दून से 15 किमी की दूरी पर बसे थानो में आप रायपुर के महाराणा प्रताप चौक से पहुंच सकते है। साल एवं ओक की जंगलों से होता रास्ता आपको कुदरत के भष्म अवतार से परिचय करवाता है। खिलखिलाते हरे-भरे खेत आपकी आंखों को सुकून का एहसास कराता है।

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ब्रिटिश राज के समय थानो एकमात्र रास्ता देहरादून घाटी में आने का हुआ करता था, यह 1860 में उत्तर भारत का पहला फॉरेस्ट रेस्ट हाउस "मेडन बंगलो" को स्थापित किया गया था।आज भी आप इस बंगलो में जा सकते है जो थानों से सिर्फ 7 किमी की ऊंचाई पर है। साथ ही यहां परस्थित एलीफैंट वाच टावर से आप पूरे देहरादून घाटी और भिलंगना नदी के दृश्य को निहार सकते है।

1890 में बना दूसरा फॉरेस्ट रेस्ट हाउस अपने आप में कोलोनियल वास्तु का एक अनूठा उदाहरण है। टिन की बनी छत और डंकन चिमनी के साथ ये घर काफी सुरम्य लगता है। वर्तमान में यह रेस्ट हाउस जंगलात के लोगों और विभिन्न शोधकर्ताओं द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।

इसी के साथ-साथ थानो कई पक्षियों की प्रजातियों के लिए भी मशहूर है, यहां दुनिया भर के बर्ड वॉचर इन पक्षियों का अद्ययन करने आते है।
थानो में पुरानी मंडी के खंडहर आज भी देखे जा सकते हैं जो पहले कभी कपास और ऊन के आयात और निर्यात के लिए काफी प्रसिद्ध जगह थी। यह लोग दूर-दूर से हर साल  व्यापार करने आया करते थे।

औपनिवेशिक वास्तुकला के साथ-साथ थानो में आप "नागरा" शैली से बने पौराणिक मंदिरों का दर्शन कर सकते है। मुख्य रूप से यहां दो पुराने मंदिर है एक बालासुन्दरी और दूसरा शिव का मंदिर है।

बालासुन्दरी मंदिर में आपको आधुनिक वास्तुकला देखने को मिलती है साथ ही साथ इसी मंदिर में दो नाग स्थान देखने को मिलते है जो लखौरी ईंट से बनाये गए है। अभी भी आप यहां पर नाग साधुओं को योग और ध्यान लगाते हुए देख सकते है। सत्रहवी शताब्दी में ब्रह्म नागरी लिपि में लिखे शिलालेख का अवलोकन भी आप यहां कर सकते है। दो सौ से तीन सौ साल पुराने शिव के मंदिर में आप दीवारों पर सजे भित्तिचित्रों से इस क्षेत्र के समृद्ध जनजीवन को देख सकते है।

थानो उन सभी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है जो यहां प्रकृति,वास्तुकला और पौराणिक गाथाओं से अपने आप को परिचय कराना चाहते है। वक़्त के साथ खंडहर होती  इमारतें आपको इतिहास में हुई उन सभी गतिविधियों का एहसास कराएंगी।थानों आपको अपनी धरोहर से रूबरू करवाने की एक सही जगह है और आप यहां अपना वीकेंड शानदार तरीके से मना सकते हैं।

 

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