कल से शुरू हो रहा है हिंदू नववर्ष, जानिए चैत्र नवरात्र का महत्व

संक्षेप:

  • हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है नवरात्र
  • कल से शुरू हो रहा है चैत्र नवरात्र
  • जानें क्यों खास होता है ये त्यौहार

नवरात्र हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है। इस दौरान 9 दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में कुल मिलाकर चार बार नवरात्र आते हैं लेकिन चैत्र और आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक पड़ने वाले नवरात्र काफी लोकप्रिय हैं।

बसंत ऋतु में होने के कारण चैत्र नवरात्र को वासंती नवरात्र तो शरद ऋतु में आने वाले आश्विन मास के नवरात्र को शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है। इस साल चैत्र नवरात्र 18 मार्च से शुरू हो रहे हैं। नवरात्र 18 मार्च से शुरू होकर 25 मार्च तक रहेंगे। 26 मार्च को कन्या को भोजन करवाकर व्रत खोला जाता है।

चैत्र और आश्विन नवरात्र में आश्विन नवरात्र को महानवरात्र कहा जाता है। क्योंकि यह नवरात्र दशहरे से ठीक एक दिन पहले होता है। नवरात्र में देवी मां के 9 रूपों की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि मां के नौ अलग-अलग रुप हैं। चैत्र नवरात्र का महत्व इसलिए होता है क्योंकि इस महीने से शुभता और ऊर्जा का आरम्भ होता है। ऐसे समय में मां दुर्गा की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

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हिंदू धर्म में नवरात्रि के नौ दिनों को बहुत पवित्र माना जाता है। इस दौरान देवी दुर्गा की कृपा पाने के लिए भक्त मां दुर्गा को विभिन्न तरह भोग आदि लगाते हैं। देवी का आशीर्वाद उनपर सदैव बना रहे इसके लिए कुछ लोग इन दिनों नौ दिन का उपवास करते हैं। नवरात्रि के दौरान लोग व्रत में सात्विक भोजन के साथ-साथ घर में साफ सफाई पर विशेष ध्यान देते हैं।

चैत्र नवरात्र से वैदिक नववर्ष की शुरूआत भी होती है। पहली जनवरी को मनाया जाने वाला नववर्ष अंग्रेजी नववर्ष है। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक...

- सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रम संवत का पहला दिन प्रारम्भ होता है। 
- विक्रमा दित्य ने राजा महाकाल की नगरी उज्जैन में मध्यप्रदेश में यह संवत पर्व शिप्रा नदी तट पर मनाया था।  
- इसी दिन लगभग 1960853119 वर्ष पूर्व सूर्योदय के साथ ईश्वर ने सृष्टि की रचना प्रारम्भ की। 
- प्रभु श्रीराम का राज्याभिषेक इसी दिन हुआ था। 
- स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन को आर्य समाज की स्थापना दिवस के रूप में चुना। 
- युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ।

- वसंत ऋतु का आरम्भ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है। जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंध से भरी होती है। 
- फसल पकने का प्रारंभ, किसानों की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है। 
 - वेद आदि शास्त्रों के स्वध्याय का संकल्प लें। 
- घरों एवं धार्मिक स्थलों पर हवन यज्ञ आदि का आयोजन करें। 
- हिंदू नववर्ष के बारे में लोगों को बताएं। एक दूसरे को हिंदू नववर्ष की शुभकामनाएं दें।   

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