जानिए भगवान शिव को 'खुदा' बोलकर क्यों की जाती है पूजा

संक्षेप:

  • `खुदा` के नाम पर होती है भगवान `शिव` की पूजा
  • सदियों से चली आ रही है शिव की पूजा की परंपरा
  • कुछ गांवों में बारह साल के बाद  होती है यह पूजा

 

देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड में हिंदू `खुदा पूजा` करते हैं। यह पूजा 12 साल बाद होती है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की मुनस्यारी तहसील तहसील के दर्जन भर गांवों में एक अद्भुत पूजा की जाती है। इस पूजा का नाम `खुदा पूजा` है। लेकिन सनातनी हिंदू इस पूजा में भगवान शिव के अलखनाथ रूप की पूजा करते हैं।

स्थानीय लोगों ने बताया कि यह पूजा विषम वर्षों में होती है, लेकिन कुछ गांवों में बारह साल के बाद यह पूजा होती है। मार्गशीर्ष और पौष माह में शुक्ल पक्ष में होने वाली यह पूजा तीन से लेकर बाइस दिन तक चलती है।

यहां खुदा के नाम पर शिव की पूजा की परंपरा सदियों से चली आ रही है। मान्यता है कि मुगल शासनकाल में जब ग्रामीण भगवान अलखनाथ की पूजा कर रहे थे तो मुगलों ने उन्हें देख लिया। 

ये भी पढ़े : श्रीकेदारनाथ के कपाटोद्घाटन की तिथि व समय हुई तय, 6 मई को सुबह ठीक इतने बजे खुलेंगे कपाट


मुगलों द्वारा पूछने पर ग्रामीणों ने खुदा की पूजा करने की बात कही। खुदा की पूजा का नाम सुनकर मुगलों ने ग्रामीणों को अनुमति दे दी। तब से इसका नाम खुदा पूजा ही रहा। चार सदियों के बाद भी भगवान अलखनाथ की खुदा पूजा के नाम पर पूजा-अर्चना हो रही है।

यह पूजा किसी गांव में तीन दिन तो किसी गांव में सात दिन और कुछ गांवों में लगातार 22 दिनों तक होती है। खुदा पूजा रात के अंधेरे में होती है। जिस मकान में अलखनाथ की पूजा होती है उसकी छत का एक हिस्सा खुला छोड़ा जाता है। मान्यता है कि छत के इसी खुले हिस्से से भगवान अलखनाथ पूजा में आते हैं।  

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

Read more Dehradunकी अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।

Related Articles