किडनी कांड में एक और आरोपी गिरफ्तार, जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में चलाने लगा था रैकेट

संक्षेप:

  • किडनी कांड का एक और आरोपी गिरफ्तार
  • पुलिस को मिले कई अहम सुराग
  • राज्य छोड़कर भागने की फिराक में था आरोपी

 

 

देहरादून: डोइवाला क्षेत्र के लालतप्पड़ स्थित गंगोत्री चैरिटेबल अस्पताल में किडनी की खरीद-फरोख्त और ट्रांसप्लांट मामले में वांटेड एक और आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़ा है। पुलिस को घटना के दिन से फरार चल रहे आरोपी राजीव कुमार की गिरफ्तारी के साथ ही कई अहम सुराग भी हाथ लगे हैं।

पुलिस ने आज मुखबिर की सूचना पर बड़ौत बागपत निवासी आरोपी राजीव कुमार चौधरी को देव संस्कृति विश्वविद्यालय गेट के सामने से गिरफ्तार किया। राजीव चौधरी राज्य छोड़कर भागने की फिराक में था।

राजीव चौधरी की कार की डिग्गी से पुलिस को एक कम्प्यूटर कैबिनेट बरामद हुई है जिस पर ASUS का DVD रीडर लगा है। साथ ही पीले रंग की गत्ते की फाइल मिली है, जिसमें कॉलेज से सम्बन्धित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज व मेडिकल रिपोर्ट हैं। पुलिस राजीव चौधरी की चल-अचल सम्पत्ति एवं आपराधिक इतिहास की जानकारी प्राप्त कर रही है।

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बड़ौत में जन्में राजीव के पिता बीडीओ थे। एग्रीकल्चर से ग्रेजुएशन और फिर एमए इकोनॉमिक्स से करने वाले राजीव ने 1998 में शादी स्नेह की जिससे उसको एक बेटा है फिर वर्ष 2000 में उसका तलाक हो गया। वर्ष 2004 में दूसरी शादी अर्चना से की जिससे एक लड़की हुई। साल 2013 में उसका फिर से तलाक हो गया, फिर वह अनुपमा के सम्पर्क में आया जो पहले से तलाकशुदा थी। दोनों ने वर्ष 2014 में शादी कर ली।

राजीव जल्दी-जल्दी पैसा कमाना चाहता था। इसलिये वर्ष 1999 में उसने हरिद्वार में बीएसएनएल अंडर ग्राउण्ड केबिल बिछाने का टेंडर लिया था। टेंडर खत्म होने के बाद वह हरिद्वार में प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करने लगा। फिर उसके बाद उसने लक्सर में खनन का काम भी शुरू कर दिया और साथ-साथ प्रॉपर्टी डीलिंग का काम भी करता रहा। वर्ष 2005 में उसकी अपने दुबई में रहने वाले एक दोस्त अब्बास के जरिये डॉ0 अमित से पहचान हुई।

इसके बाद राजीव ने अपनी पत्नी अनुपमा को नेचर विला में मैनेजर की नौकरी दिलायी और यहां से इनकी उत्तरांचल डेंटल कॉलेज के चेयरमेन पांडे से भी जान-पहचान हो गयी।

वर्ष 2016 में डॉ0 अमित ने जब राजीव से देहरादून में एक हॉस्पिटल खोलने की बात कही तो राजीव चौधरी ने उत्तरांचल डेंटल कॉलेज के चेयरमैन से बात कर जुलाई 2016 में डॉ0 अमित को गंगोत्री चेरिटेबिल हॉस्पिटल लाल तप्पड़ की बिल्डिंग को लीज पर दिलाया। उसके बाद राजीव चौधरी के द्वारा ही हॉस्पिटल की फिनिशिंग की गयी जिसमें डॉ0 अमित का एक साथी भी शामिल था।

इन लोगों ने ही हॉस्पिटल में उपकरण लगाए थे। तीन-चार महीने में कार्य खत्म होने पर राजीव चौधरी डॉ0 अमित के साथ इस हॉस्पिटल को चलाने लगा। जब हॉस्पिटल से मोटी कमाई होने लगी तो राजीव चौधरी ने अपनी पत्नी को वहां पर कैन्टीन भी दिला दी। राजीव चौधरी पूरे किडनी प्रकरण में शामिल था। वो ही ग्राहकों को हॉस्पिटल में लाया जाता था

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