थराली उपचुनाव: जानिए ये सीट क्यों हैं बीजेपी और कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण

संक्षेप:

  • थराली उपचुनाव के लिए हलचल तेज
  • कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए बेहद अहम
  • देखने को मिल रही सीधी टक्कर

देहरादून: थराली सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है। थराली उपचुनाव की कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए बेहद अहम है। इस बार होने वाले थराली उपचुनाव में कांग्रेस और बीजेपी की सीधी टक्कर देखकर को मिल रही है।

दोनों ही पार्टियां इस उपचुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहती। कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी प्रो. जीतराम पर दांव लगाया है। कांग्रेस को लगता है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में हुए उपचुनाव में जिस तरह से BJP को मुंह की खानी पड़ी है, वैसा ही इस बार भी होगा।

उत्तराखंड का इतिहास लेकिन कुछ और ही कहता है। प्रदेश में उपचुनाव में उन्हीं प्रत्याशियों की अधिकतर जीत हुई है जिन पार्टियों की राज्य में सरकार हो। लिहाजा भाजपा इस मिथक को बनाए रखने के लिए काफी मेहनत कर रही है तो वहीं कांग्रेस इस मिथक को तोड़ने के प्रयास में लगी है।

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कांग्रेस को लगता है कि वो सहानुभूति लेकर इस चुनाव में जीत हासिल कर सकती है। वहीं भाजपा ने इस चुनाव को जीतने के लिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और तमाम बड़े नेताओं को थराली उपचुनाव में प्रचार के लिए उतारा है।

हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी जीतराम के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने पूर्व की सरकारों में विधायक रहते हुए क्षेत्र में अच्छा काम किया है। वो अपने काम के बलबूते जनता के बीच जा रहे हैं। इस अच्छी छवि का फायदा जीतराम और कांग्रेस को मिलने की पूरी उम्मीद है। शायद इसीलिए बीजेपी के बड़े-बड़े दिग्गज थराली सीट बचाने के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इसके साथ ही मगन लाल की पत्नी मुन्नी देवी को ही बीजेपी ने अपना प्रत्याशी चुना है ताकि मगन लाल के सपर्ट के लोग बीजेपी से जुड़े रहे।

उत्तराखंड राज्य के उपचुनाव और उनके परिणाम पर एक नज़र...

धुमाकोट से साल 2000 में भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री और पौड़ी से सांसद बीसी खंडूरी ने उप-चुनाव जीता
रामनगर में साल 2002 में उप-चुनाव हुआ था, जिसमें नारायण दत्त तिवारी ने जीत हासिल की थी।
साल 2005 में कोटद्वार से सुरेंद्र सिंह नेगी ने उप-चुनाव जीता।
राज्य बनने के बाद उत्तराखंड क्रांति दल ने भी एक बार उप-चुनाव जीता है  2005 में विधायक विपिन चंद्र त्रिपाठी के निधन के बाद हुआ था उसके बाद उनके पुत्र पुष्पेंद्र त्रिपाठी ने चुनाव जीता।
कपकोट से साल 2007 में भाजपा के शेर सिंह उप-चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
विकास नगर से साल 2011 में भाजपा के कुलदीप सिंह चुनाव जीते।
सितारगंज से साल 2012 में विजय बहुगुणा ने उप-चुनाव जीता।
साल 2014 में कांग्रेस में रहते हुए रेखा आर्य ने उप-चुनाव जीता।
धारचूला से 2014 में हरीश रावत ने उप-चुनाव जीता।
2014 में ही डोइवाला क्षेत्र से कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट उप-चुनाव जीता।

भले ही आंकड़े यह बताते हैं कि राज्य में जिस पार्टी की सरकार रही है उपचुनाव में उसी की जीत हुई है लेकिन मौजूदा त्रिवेंद्र सरकार इस मिथक के सहारे बिलकुल नहीं रहना चाहती। शायद यही कारण है कि पार्टी के तमाम बड़े नेताओं ने थराली में अभी से डेरा डाल दिया है।

पार्टी के इस मूवमेंट से लगता है कि बीजेपी को डर है कि कही जनता इस एक साल का कार्यकाल का आकलन कर उन्हें इस सीट में हार का मुंह न दिखा दे। हालांकि वित्त मंत्री प्रकाश पंत का कहना है कि थराली चुनाव बीजेपी जीत रही है लेकिन फिर भी पार्टी अपनी तरफ से कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। 

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