अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने के बाद भावुक हुए लाल कृष्ण आडवाणी

संक्षेप:

  • अटल बिहारी वाजपेयी का आज अंतिम संस्कार
  • लाल कृष्ण आडवाणी हुए भावुक
  • पढ़िए दोनों की दोस्ती की कहानी

देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का आज अंतिम संस्कार किया जाएगा. शुक्रवार सुबह से ही वाजपेयी के अंतिम दर्शन के लिए राजनेताओं और आम जनता का तांता लगा हुआ है.

सुबह लगभग 10 बजे वाजपेयी के पार्थिव शरीर को बीजेपी मुख्यालय पर लाया गया, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ समेत कई राजनेताओं ने उन्हें श्रद्धा समुन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. 

बीजेपी मुख्यालय पर जिस वक्त सभी राजनेता वाजपेयी के पार्थिव शरीर के दर्शन कर रहे थे, उस वक्त उनके दोस्त और जूनियर लाल कृष्ण आडवाणी भावुक दिखे. एक अजीज दोस्त और इतने महान व्यक्ति को खोने के दुख में विभोर लाल कृष्ण आडवाणी की भीगी पलकें सब कुछ बिना कहे की बयां कर रही थी. उनके चेहरे पर एक दोस्त को खोने का दर्द साफ झलक रहा था. मुख्यालय पर लोगों के आने जाने के दौरान आडवाणी शांत बैठे रहे और कैमरों से निगाहें बचाते हुए नजर आए.

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने शोक व्यक्त किया. उन्होंने कहा, `मैं अपने दुख को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करने में असमर्थ हूं. अटल बिहारी वाजपेयी मेरे लिए सीनियर से बढ़कर थे, वह 65 सालों से ज्यादा समय तक मेरे सबसे करीबी दोस्त थे.`

बेटी के साथ बीजेपी मुख्यालय पहुंचे आडवाणी

बीजेपी मुख्यालय पर वाजपेयी का पार्थिव शरीर पहुंचने के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी अपनी बेटी के साथ वहां पहुंचे और उन्हें पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजिल दी. वाजपेयी को पुष्प अर्पित करते हुए आडवाणी और उनकी  बेटी की आंखें नम थी. यही नहीं बीजेपी के एक और नेता संबित पात्रा भी काफी भावुक दिखे।

आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयीऔर लालकृष्णआडवाणी ने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की थी. इसके बाद तो भारतीय राजनीति में ये दोनों एक नाम हो गये `अटल-आडवाणी`. लेकिन ऐसा नहीं है कि बीजेपी की स्थापना के समय ही दोनों साथ आये थे. बीजेपी की स्थापना के काफी पहले दोनों नेता राजनीति में आ चुके थे.

दोनों ही आरएसएस के प्रचारक के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. अटल जी भी पत्रकारिता से जुड़े थे और लालकृष्ण आडवाणी भी. अटल जी अपने भाषण के दम पर राजनीति में बहुत ही तेजी से जगह बना रहे थे तो आडवाणी राजस्थान के कोटा में संघ के प्रचारक के तौर पर काम रहे थे. जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणशैली से काफी प्रभावित थे. यह दोनों चाहते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी किसी तरह संसद पहुंच जाएं ताकि उनके भाषणों को पूरे देश की जनता सुन पाये.

लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की मुलाकात लालकृष्ण आडवाणी से कैसे हुई यह कहानी भी बहुत रोचक है. अटल जी एक बार सहयोगी के तौर पर पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ ट्रेन से मुंबई जा रहे थे. मुखर्जी कश्मीर के मुद्दे पर पूरे देश का दौरा कर रहे थे. लालकृष्ण आडवाणी कोटा में प्रचारक थे. उनको पता लगा कि उपाध्याय जी इस स्टेशन से गुजरने वाले हैं तो वह मिलने आ गये. वहीं पर मुखर्जी ने दोनों की मुलाकात करवाई थी.

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