कावंड़ यात्रियों पर है ये खतरा, दिशा-निर्देश किए गए जारी

संक्षेप:

  • कांवड़ यात्रा 2018
  • भक्ति पर आदमखोर का खतरा
  • अबतक 21 लोगों को उतारा मौत के घाट

देहरादून: कावंड़ यात्रा शुरू होने वाला है और ऐसे में लगभग 50 लाख कांवड़ियों पर ये खतरा मंडरा रहा है। इस खतरे को भांपते हुए वन विभाग ने अपनी तैयारियों के अलावा स्थानीय लोगों से मदद की अपील की है।

साथ ही कांवड़ियों को भी दिशानिर्देश जारी करने के लिए पोस्टर और होर्डिंग जगह-जगह पर लगा रही है ताकि सभी भक्त इस खतरें से वाकिफ होकर सचेत रहें। दरअसल, कांवड़ यात्रा के दौरान कावड़ियों को उस आदमखोर इलाके से निकलकर हरिद्वार से ऋषिकेश जाना पड़ता है जहां अब तक लगभग 21 से ज्यादा लोगों को गुलदार मौत के घाट उतार चुका है।

देहरादून का रायवाला क्षेत्र यह वो इलाका है जो  बीते कई सालों से आदमखोर गुलदार ने आतंक से परेशान है। रायवाला के लगभग 12 से 15 गांवों में इस गुलदार की ऐसी दहशत है कि शाम होते ही लोग अपने घरों में दुबक जाते हैं। आलम ये है कि हाई-वे पर भी शाम होते ही सन्नाटा पसर जाता है क्योंकि अब तक यहां रहने वाले आदमखोर गुलदार 22 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं।

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वन विभाग और जिला प्रशासन इस बात का मंथन कर रहे हैं कि यहां से चलने वाली कांवड़ यात्रा को कैसे सकुशल संपन्न किया जाए क्योंकि कावड़ यात्रा किस क्षेत्र से ना केवल दिन में चलती है बल्कि रात के अंधेरे में भी कांवड़िया इसी रोड से जाते हैं।

लंबी दूरी तय करने वाले यह कांवड़िया हरा भरा जंगल देखकर यहां पर ना केवल दिन में विश्राम करते हैं बल्कि रात को भी आराम करने के लिए इस जंगल के किनारे बनी सड़क का सहारा लेते हैं। इन्हीं सबको ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने अब कांवड़ियों को गाइडलाइन जारी की है। मुख्य वन संरक्षक जयराज की मानें तो विभाग की तरफ से आने वाले कांवड़ियों को दिशा निर्देश दिए गए हैं कि इस इलाके में वो ना रुके और ना ही जंगल की तरफ जाये।

वन विभाग को डर है कि हरा-भरा जंगल देखकर कावड़िया आकर्षित होते हुए जंगल के अंदर जाने की कोशिश करते हैं, ऐसे में अनहोनी का खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है। विभाग की मानें तो इस इलाके में एक नहीं बल्कि करीब छह आदमखोर हैं।

प्रमुख वन संरक्षक जयराज का कहना है कि कांवड़ मेले को देखते हुए पूरे इलाके में वन विभाग की पोस्ट को ज्यादा संख्या में तैनात किया गया है। उन्होंने बताया कि कांवड़ मेले के दौरान लगातार पेट्रोलिंग की जाएगी। साथ ही मोतीचूर से लेकर रायवाला तक का लगभग 2 किलोमीटर का मार्ग वन विभाग की टुकड़ियों से पटा होगा।

ये पूरा इलाका आबादी से चारों तरफ से घिरा हुआ है। राजाजी टाइगर रिजर्व के कारण बाघों का कई बार खुले तौर पर यहां पहुंच जाना भी चिंता का कारण रहता है। आदमखोर का आंतक पिछले दो-तीन साल से इस क्षेत्र में काफी बढ़ना लगा है। हालत ये है कि अब ग्रामीण अपना घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।

इस मसले पर पुलिस प्रशासन ने भी इस पूरे मामले पर अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। एडीजी अशोक कुमार ने साफ कह दिया है कि इस मामले में वो वन विभाग की कोई मदद नहीं करे सकते क्योंकि पुलिस फोर्स गुलदार या जंगली जानवरों को पकड़ने में एक्सपर्ट नहीं होती। इसलिए वन विभाग को अपना इलाका खुद ही संभाना होगा।

अब सवाल ये उठता है कि क्या वन विभाग यहां से जाने वाले कांवड़ियों की सुरक्षा ठीक से कर पाएगा। क्या वन विभाग के कर्मचारी इस पूरे इलाके को कवर कर पाएंगे। क्योंकि 2 किलोमीटर के क्षेत्र में ये घना जंगल फैला हुआ है।

आदमखोर के आतंक से ये गांव हैं सबसे ज्यादा प्रभावित
रायवाला
प्रतितनगर
लच्छीवाला
खंडगांव
हरिपुर
मोतीचूर
श्यामपुर
खदरी
खैरी
कांसरो
गौरीगांव
नेपाली फार्म
वीरभद्र
गूलर

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