जरूरी सूचना: सरकारी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों में सात मई से 12 जून तक ग्रीष्म अवकाश घोषित, उच्च शिक्षा विभाग की लगी मुहर  

संक्षेप:

  • सात मई से 12 जून तक ग्रीष्म अवकाश घोषित। 
  • बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई छुट्टियों के बाद ही होगी। 
  • ग्रीष्मकालीन छुट्टियों को लेकर अशासकीय डिग्री कॉलेजों का उल्लेख नहीं।  

देहरादून। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामले को देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने छात्रों के लिए एक अहम कदम उठाया है। प्रदेश में यू बेकाबू होती परिस्थितियों पर नियंत्रण रखने के लिए और छात्रों की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया गया है।  
  

दरअसल उच्च शिक्षा विभाग ने सरकारी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों में सात मई से 12 जून तक ग्रीष्म अवकाश घोषित कर दिया है। पहले ग्रीष्मकालीन अवकाश आमतौर पर जून- जुलाई में होता था। यू तो कॉलेज अप्रैल तीसरे सप्ताह से ही बंद चल रहे हैं। पर कोविड संक्रमण रोकने के लिए सरकार पहले ही विश्वविद्यालय, कॉलेजों में बंदी लागू कर चुकी थी, अब उच्च शिक्षा विभाग ने जल्द हालात काबू न आते देख अभी से ग्रीष्मकालीन अवकाश भी लागू कर दिया है। इस ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के चलते बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई छुट्टियों के बाद ही होगी। 
उप सचिव शिव स्वरूप त्रिपाठी की ओर से जारी आदेश के अनुसार ग्रीष्मकालीन अवकाश में पूर्व और भविष्य के देय अवकाशों को शामिल किया गया है।

ग्रीष्मकालीन छुट्टियों को लेकर अशासकीय डिग्री कॉलेजों का उल्लेख नहीं 

ये भी पढ़े : माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने दो परीक्षा केन्द्रों का किया आकस्मिक निरीक्षण


अब सत्र की शेष पढ़ाई और परीक्षाएं ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद ही हो पाएंगी। इधर, शासन के आदेश में अशासकीय डिग्री कॉलेजों का उल्लेख नहीं है। इस कारण अशासकीय कॉलेजों के सामने ग्रीष्मकालीन अवकाश को लेकर असमंजस पैदा हो गया है। कॉलेज प्राचार्यों का कहना है कि अब तक सभी शासकीय अशासकीय शिक्षण संस्थानों के लिए एक ही आदेश जारी होता था। अब एक ही विवि के अधीन सरकारी और अशासकीय कॉलेजों में अलग- अलग व्यवस्था लागू हो गई है। अशासकीय कॉलेज जहां ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहे हैं, वहीं सरकारी में अवकाश है। इससे परीक्षा और सेमेस्टर परीक्षा पर भी असर पड़ेगा।

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

Read more Dehradunकी अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।

Related Articles