रावत सरकार का एक साल: इन मुद्दों पर सरकार फेल

संक्षेप:

  • रावत सरकार का एक साल
  • उपलब्धियों को गिनाने में व्यस्त है सरकार
  • कई मुख्य मुद्दे एक साल में पूरा नहीं कर पाई सरकार

देहरादून: उत्तराखंड की रावत सरकार ने अपने एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है। पहली सालगिरह के मौके पर सरकार अपनी उपलब्धियों को गिनाने में व्यस्त है लेकिन खुद की नाकामी पर चुप्पी साधे हुए है। हम आपको बताते हैं वो मुख्य मुद्दे जिनको त्रिवेंद्र सरकार इस एक साल में पूरा नहीं कर पाई है।

बीजेपी 18 मार्च के दिन को जश्न मनाने जा रही है। एक साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी सरकार के खाते में कई उपलब्धि केंद्र की मदद से दर्ज हुई हैं, जिन्हें गिनाते हुए सीना चौड़ा करने में त्रिवेंद्र सरकार गुरेज नहीं करती। चाहे वो ऑल वेदर रोड यानि चारधाम यात्रा मार्ग की बात हो या फिर कर्णप्रयाग तक रेल लाइन। राज्य सरकार पूरे गाजे-बाजे के साथ इसे प्रचारित कर रही है। केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण के काम को भी राज्य सरकार केंद्र के सहयोग से ही आगे बढ़ा रही है।

चाहे कृषि और हॉर्टिकल्चर विभाग में हज़ारों करोड़ रुपये की योजनाओं की बात हो या फिर कई दूसरी योजनाओं के लिए काम करना हो बीजेपी तमाम उपलब्धियों को गिनाने में जुटी है। लेकिन जिन मुद्दों को मुद्दा बनाकर पार्टी ने चुनाव लड़ा था शायद इस चकाचौंध में सरकार उन्हें भूल गई है।

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गैरसैंण को राजधानी बनाने की बात हो या फिर 100 दिन में लोकायुक्त नियुक्त करने की बात दोनों ही बातों में बीजेपी कोई फैसला नहीं ले पाई। गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की बात कहकर जनता को लॉलीपॉप देने की कोशिश कर रही है, दूसरी ओर लोकायुक्त से साफ इनकार कर दिया है।

इन मुद्दों पर भी हुई फेल...

  • स्कूली शिक्षा में स्मार्ट क्लास रूम का प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाया।
  • खनन में लक्ष्य से 50 फीसदी राजस्व ही वसूला जा सका।
  • उच्च शिक्षा में कम्प्यूटर खरीद में गड़बड़ी की जांच पूरी नहीं हो पाई।
  • उच्च शिक्षा में स्मार्ट क्लास के लिए स्मार्ट टीवी खरीद में घोटाला।
  • तकनीकी विश्वविद्यालय में वीसी के खिलाफ हो रही जांच नहीं हो पाई पूरी।

देहरादून के ऐतिहासिक परेड ग्राउंड से सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र रावत भले ही 18 मार्च को अपनी उपलब्धियां गिनवायेंगे लेकिन यह बात भी किसी से छुपी नहीं है कि राज्य सरकार ने 100 दिन के कार्यकाल में जिन कामों को करने का वादा किया था उसे वो एक साल के कार्यकाल में भी पूरा नहीं कर पाई।

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