रावत सरकार का एक साल: उत्तराखंड पर 6,100 करोड़ का कर्ज लेकिन जश्न मना रही सरकार

संक्षेप:

  • रावत सरकार का एक साल
  • सीएम रावत ने गिनवाई उपलब्धियां
  • जानकारों के मुताबिक प्रदेश पर  6,100 करोड़ का कर्ज

देहरादून: उत्तराखंड की रावत सरकार ने अपने एक साल पूरे कर लिए हैं। जिसका सरकार जश्न मना रही है। इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जनता के बीच आकर दो घंटे में अपनी एक साल की उपलब्धियां गिनवाई।

वहीं, जानकारों के मुताबिक त्रिवेंद्र सरकार पर पिछले एक साल में 6,100 करोड़ का कर्ज है। आम लोग वेतन से महरूम हैं और कर्ज लेकर अपने परिवार का पालन करने को मजबूर हैं।

ये अब भी एक प्रश्न है, जिसका जवाब ना तो पूर्व की कांग्रेस सरकार दे पायी और ना ही मौजूदा समय में भाजपा की सरकार दे रही है। अब तक राज्य में काबिज हुई सरकारों ने अगर कुछ दिया है तो वह है कर्ज। कर्ज से डूबता उत्तराखंड प्रदेश, जिसमें नीचे से लेकर ऊपर तक सभी कुछ कर्ज में डूबा हुआ है। ऐसे में सरकार का लाखों रूपये जश्न पर खर्च करना कहां तक उचित है।

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लंबे समय तक चले आंदोंलनों और संघर्ष के बाद वर्ष 9 नवंबर 2000 में उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य से अलग होने के बाद ऐसा माना जाने लगा कि पहाड़ी राज्य की मुसीबतों का हल होगा। लेकिन आज तस्वीर ये है कि 17 साल पूरे होने के बाद भी मूल-भूत सुविधाओं के अभाव में पहाड़ से लगातार पलायन हो रहा है। इन 17 सालों में उत्तराखंड पर 41000 करोड़ से ज्यादा का कर्ज है। सरकारें बार-बार बदलती रही लेकिन ये कर्ज कम होने की बजाए बदस्तूर बढ़ता रहा।

जानकारों के मुताबिक पिछले एक साल के कार्यकाल में अकेले त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने ही 6,100 करोड़ का कर्ज लिया। ये कर्ज पिछली सरकारों के मुकाबले काफी ज्यादा है। जो चिंता का विषय है। मंथन करने के बजाए त्रिवेंद्र सरकार जश्न में डूबी हुई है।

मौजूदा भाजपा सरकार अपने एक साल में 6,100 का कर्ज राज्यवासियों के खाते में डालकर जश्न मानने जा रही है। जबकि कई विभागों के कर्मचारी काम छोड़ अपने वेतन जैसी मूलभूत समस्या के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।

एक साल में सरकार की तरफ से जो घोषणाएं की गई वो कितनी धरातल पर पहुंची, इसका अंदाजा परेड मैदान के बाहर बैठे हड़तालियों को देखकर लगाया जा सकता है। सरकार ने जश्न मनाने से पहले धरने पर बैठे हड़तालियों को जेल में डाला गया।

उत्तरखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद भी मान चुके हैं कि आज उत्तराखंड एक हड़ताली राज्य बनकर रह गया है। ऐसे में सरकारों की नाकामी के चलते उत्तराखंड 17 सालों के बाद भी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सका है। जिस मकसद को लेकर आंदोलन के रास्ते ये प्रदेश बनाया गया था, वो मुद्दा आज भी वहीं का वहीं खड़ा है।

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