देहरादूनः NCERT की किताबों के लिस्ट के साथ अभिभावकों को दी दूसरी किताब की लिस्ट

संक्षेप:

  • उत्तराखंड के स्कूलों में लागू हैं NCERT पाठ्यक्रम
  • कुछ स्कूल अभी भी अभिभावकों दे रहे दूसरी किताब की लिस्ट
  • सरकार की सख्ती का नहीं दिख रहा कोई खास असर

उत्तराखंड सरकार ने बड़ी प्लानिंग और शक्ति के साथ राज्य में एनसीइआरटी पाठ्यक्रम लागू करवाया राज्य सरकार यह चाहती है कि NCERT पाठ्यक्रम लागू होने के बाद राज्य में बच्चों के अभिभावकों पर ज्यादा जोर ना पड़े इसको लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत काफी प्रयास कर रहे है। लेकिन क्या यह तत्परता कार्रवाई और छापेमारी सिर्फ उन स्कूलों तक सीमित है।

जिन स्कूलों के मालिकों की पहुंच सरकार तक नहीं है या फिर उन स्कूलों को राज्य सरकार ने खुली लूट का लाइसेंस दे दिया है। जिनके मालिक सरकार में अच्छी पकड़ रखते हैं। आज हम आपको देहरादून के उस स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसने शासनादेश जारी होने के बाद भी एनसीईआरटी की किताबों के साथ-साथ दूसरी किताब भी अभिभावकों को लेने पर मजबूर किया है।

यानी एनसीईआरटी की जो किताबें मात्र एक से डेढ़ हजार में आनी थी, उनके साथ बच्चों के अभिभावकों को जो लिस्ट दी गई है उन किताबों की कीमत 5000 से ज्यादा पहुंच रही है। इतना ही नहीं देहरादून में ISBT रोड पर मौजूद सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल ने सभी बच्चों को एनसीईआरटी बुक के साथ-साथ 5-6 हजार की रु. की दूसरी किताबें खरीदने पर मजबूर किया है।

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बाकायदा अभिभावकों को जो लिस्ट थमाई गई है उसमें लगभग 22 ऐसी बुक हैं। जिनकी कीमत ही हजारों रुपए बैठ रही है। दरअसल, यह स्कूल किसी और का नहीं बल्कि सत्ता में बैठी बीजेपी के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत के स्वास्थ्य सलाहकार नवीन बलूनी का है। नवीन बलूनी देशभर में बलूनी क्लासेस चलाते हैं। लिहाजा उनका एक स्कूल देहरादून में भी चल रहा है। लगभग 17 बच्चों वाले से स्कूल में एनसीईआरटी हालांकि बीते सालों से पढ़ाई जा रही है, लेकिन इस बार भी पुराना सिलेबस बच्चों को दिलवाया गया है।

जब हमने इस बारे में स्कूल के प्रिंसिपल पंकज नोटियाल से बात की तो पहले तो वह बात करने से कतराते रहे, लेकिन जब बात की तो अपने हिसाब से अपना तर्क देने लगे पंकज नेगी ने हमें बताया कि सरकार का आदेश फरवरी में आया था। जबकि उन्होंने तमाम किताबें नवंबर में ही मंगवा ली थी नेगी की मानें तो वह सरकार के आदेशों का पालन हमेशा करेंगे। फिलहाल किताबें सभी बच्चों की जा चुकी है। इसलिए वह ऐसे हालातों में कुछ नहीं कर सकते पंकज कहते हैं।

उन्होंने किसी भी अभिभावक पर किसी तरह का कोई भी दबाव किताबें लेने के लिए नहीं बनाया है लेकिन NCERT के साथ-साथ हम दूसरी किताबों को भी पढ़ाएंगे पंकज की मानें तो उन्होंने इस बाबत एक पत्र शिक्षा विभाग को भी दे दिया है लेकिन यह पत्र स्कूल की तरफ से कब गया है उसकी तारीफ ही कई सवाल खड़े कर रही है दरअसल जब तमाम बच्चों ने किताबें ले ली उसके बाद 11 अप्रैल यानी 2 दिन पहले ही स्कूल की तरफ से एक पत्र जिला शिक्षा अधिकारी को दिया गया है।

जिसमें यह कहा गया है कि वह सरकार के आदेशों का पालन करेंगे लेकिन पत्र में यह कहीं नहीं कहा गया कि वह दूसरी किताबें भी बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब सरकार ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। जिन स्कूलों ने महंगी किताबें अभिभावकों को लेने पर मजबूर किया है तो यह कार्रवाई मुख्यमंत्री के सलाहकार नवीन बलूनी के स्कूल पर अब तक क्यों नहीं हुई है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ इस स्कूल में किताबों को लेकर ही यह फैसला लिया गया है।

जबकि एडमिशन के दौरान अभिभावकों पर पैसों का इतना दबाव होता है। ठीक उसी वक्त यह स्कूल 1850 रु पर बच्चे से एनुअल फंक्शन फीस भी ले रहा है। इस बारे में स्कूल के प्रिंसिपल कहते हैं कि इसके लिए भी किसी भी अभिभावक या बच्चे पर दबाव नहीं बनाया गया है। यह फीस इसलिए भी जरूरी है क्योंकि स्कूल में तमाम तरह के फंक्शन सालभर होते रहते हैं।

जिसमें हर बच्चे का पार्टिसिपेट करना बेहद जरूरी होता है। योर स्कूल सब कुछ करके भी सपोर्ट के लिए एक पत्र इस बारे में भी शिक्षा विभाग को लिख चुका है। शिक्षा विभाग किस तरह से काम कर रहा है। उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्कूल की तरफ से इन दोनों ही बातों पर पत्र दिए गए हैं। जबकि अब तक कार्रवाई के नाम पर तमाम अधिकारी चुप बैठे हैं।

 

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