NYOOOZ Special: उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू के बाद डेंगू ने दी दस्तक, जानिए कैसे करें इससे बचाव

संक्षेप:

  • उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू के बाद डेंगू का कहर
  • स्वाइन फ्लू से अबतक 6 लोगों की मौत, 1 मरीज में डेंगू की पुष्टि
  • स्वास्थ्य विभाग ने कहा- स्वाइन फ्लू और डेंगू से लड़ने की पूरी तैयारी

By: हसनैन हसन

देहरादून: उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू और डेंगू ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। प्रदेश में अभी तक स्वाइन फ्लू से 6 मौत हो चुकी है। जबकि स्वाइन फ्लू के दो और मामले सामने आए हैं। अब स्वाइन फ्लू मरीजों की संख्या 21 तक हो गई है। वहीं 1 मरीज में डेंगू की भी पुष्टि हुई है।

दून मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल प्रदीप भारती गुप्ता ने कहा है कि स्वाइन फ्लू और डेंगू के  उपचार के लिए अस्पताल में पर्याप्त दवाएं हैं। उपचार के लिए डाक्टरों को भी आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए अलग से वार्ड की भी व्यवस्था की गई है। मच्छर न पनप सकें इसके लिए अस्पताल के आस पास फॉगिंग भी की जा रही है।

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जानिए क्या हैं स्वाइन फ्लू और डेंगू के लक्षण और उससे बचाव के उपाय...

क्या है स्वाइन फ्लू के लक्षण ?

  • स्वाइन फ्लू के लक्षण भी सामान्य एन्फ्लूएंजा जैसे ही होते हैं।
  • नाक का लगातार बहना, छींक आना।
  • कफ, कोल्ड और लगातार खांसी।
  • मांसपेशियां में दर्द या अकड़न।
  • सिर में बहुत तेज दर्द।
  • नींद न आना, ज्यादा थकान।
  • दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढ़ना।
  • गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना।

स्वाइन फ्लू से बचाव

  • आराम करना।
  • खूब पानी पीना।
  • शरीर में पानी की कमी न होने देना।
  • तुलसी, गिलोए, कपूर, लहसुन, एलोवीरा, आंवला जैसी आयुर्वेदिक दवाईयों का भी स्वाइन फ्लू के इलाज में बेहतर असर देखा गया है।

डेंगू के लक्षण

  • बुखार बहुत तेज़ होता है।
  • कमज़ोरी और चक्कर आते हैं।
  • मुंह का स्वाद बदल जाता है और उल्टी भी आती है।
  • सरदर्द, पीठ में दर्द और बदन दर्द भी होता है।
  • कई लोगों को त्वचा पर रैशेज़ भी हो जाते हैं।
  • कुछ लोगों को बेहोशी भी आती है।

डेंगू से बचने के उपाय

  • नालियों, पुराने टायरों, बाल्टियों, प्लास्टिक कवर, खिलौनों और अन्य जगह पर पानी रुकने न दें।फव्वारों, पक्षियों के बर्तनों, गमलों  इत्यादि से हफ्ते में एक बार पानी बदल दें।
  • अस्थायी पूल्ज को खाली कर दें या उनमें मिट्टी भर दें।
  • स्विमिंग पूल का पानी बदलते रहें और उसे चलता रखें।
  • दीवारों, दरवाजों और खिड़कियों की दरारों को भर दें।
  • दरवाजों और खिड़कियों की अच्छे से जांच कर लें।
  • बच्चें को सुलाने वाले कैरियर और अन्य बिस्तर को मच्छरदानी से ढक दें।
  • लंबी बाजू की शर्ट, पैंट और जुराबें पहनकर मच्छरों के कटने से बचें।
  • टीशर्ट को अपनी पैंट और पैंट को जुराबों में डाल कर रखें, ताकि खाली जगह से मच्छर काट न सकें।
  • समय व शाम को घर के अंदर रहें, क्योंकि मच्छर इस वक्त ज्यादा सक्रिय होते हैं।

 

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