रणवीर फर्जी एनकाउंटर केस: इन पुलिसकर्मियों की अचानक बदल गई जिंदगी

संक्षेप:

  • रणवीर फर्जी एनकाउंटर
  • कई पुलिसकर्मियों को दे गया जख्म
  • विकास बलूनी की नहीं हो पाई शादी

 

देहरादून: रणवीर फर्जी एनकाउंटर प्रकरण पुलिसकर्मियों को कई जख्म दे गया। हरिद्वार में तैनात कांस्टेबल सौरभ नौटियाल ने इस प्रकरण की वजह से अपने जवान भाई, पिता को खोया दिया। वहीं विकास बलूनी की शादी इस केस के चलते नहीं हो पाई है।

इस मामले ने इन पुलिसकर्मियों के करियर पर धब्बा लगा दिया था। पुलिसकर्मियों को जून 2012 में गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। घटना के समय एसओजी देहरादून में तैनात रहे सौरभ नौटियाल के पिता हीरा नौटियाल की तीन महीने बाद ही हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। जबकि, वे सौरभ की गिरफ्तारी से पहले बिल्कुल स्वस्थ थे। छोटा भाई हरीश भी पिता की मौत और भाई की गिरफ्तारी का सदमा नहीं झेल पाया और उसकी भी मौत हो गई। डॉक्टरों ने मौत का कारण टेंशन बताया था।

मौत से कुछ दिन पहले वह भाई सौरभ से मिलने तिहाड़ जेल गया था। अब सौरभ के परिवार में उनके अलावा पत्नी, भाभी और मां के अलावा एक बेटी है। यही नहीं, मामले कानूनी लड़ाई लड़ते-लड़ते सौरभ का देहरादून के धर्मपुर में स्थित घर बिक गया। इन दिनों वे किराए पर जोगीवाला में रह रहे हैं। मंगलवार को सौरभ दिल्ली में ही मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि उन्हें वर्ष 2016 में मकान बेचना पड़ा था।

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इस केस के चलते एएसआई विकास बलूनी की शादी नहीं हो पाई। विकास भी चार साल से अधिक जेल में रहे। विकास की अब उम्र 34 वर्ष से ज्यादा हो चुकी है। गिरफ्तारी से पहले विकास के रिश्ते की बात चल रही थी। विकास और सौरभ दोनों ही अच्छे दोस्त हैं। दोनों ही देहरादून में जोगीवाला के रहने वाले हैं।

जबकि संजय रावत पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर, इंद्रभान बिहार और मनोज मलिक शामली उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। परिवार का मिला पूरा समर्थन: दोष मुक्त हुए पुलिसकर्मियों ने बताया कि जेल में बंद रहते उन्हें परिवार का पूरा समर्थन मिला। परिवार के सदस्य हर माह उनसे मिलने आते थे। उनके परिवारों को पूरी उम्मीद थी कि वे जरूर बरी होंगे। इस मामले में सभी पुलिसकर्मी दो साल तिहाड़ और दो साल देहरादून सुद्धोवाला जेल में बंद रहे।

कांस्टेबल सौरभ नौटियाल की पत्नी नेहा ने फैसले पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि इस दिन का बेसब्री से इंतजार था। जो वक्त बीता है, वह काफी मुश्किल रहा। लगा कि जिंदगी खत्म हो जाएगी। इस बीच ससुर और जेठ की मौत ने गम को और बढ़ा दिया। नेहा ने कहा कि हमें आज नई जिंदगी मिली है। कोर्ट पर पूरा भरोसा था कि पति के साथ ही परिवार को न्याय मिलेगा। सौरभ हरिद्वार जिले में तैनात हैं। नेहा और सात साल की बेटी मिंयावाला में किराये के मकान में रहती हैं। वह कहती हैं कि 2009 की इस घटना के बाद वह पूरी तरह टूट चुकी थी।

रणवीर एनकाउंटर में बरी हुए 11 पुलिसकर्मियों को नई जिंदगी मिलेगी। अदालत के इस फैसले से उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। बेहद माली हालत से गुजर रहे परिवारों के लिए रिहाई बेहद महत्वपूर्ण है। लेकिन आर्थिक परेशानी से भी शायद उन्हें राहत मिले। करीब पांच साल ये लोग जेल में रहे। इस दौरान उन्हें विभाग की ओर से कोई वेतन नहीं मिला। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान के भत्ते और वेतन विभाग से दिए जा सकते हैं। कोर्ट के फैसले का अध्ययन करने के बाद विभाग इस पर फैसला लेगा। एडीजी अशोक कुमार के अनुसार कोर्ट के निर्णय के अनुसार जो भी संभव होगा उस पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

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