टोक्यो ओलंपिक 2021: उत्तराखंड से पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मनोज सरकार की इस संघर्ष की कहानी ने पहुंचाया ओलंपिक तक

संक्षेप:

  • टोक्यो ओलंपिक में मनोज सरकार पैरा बैडमिंटन में खेलेंगे 
  • मनोज उत्तराखंड से टोक्यो ओलंपिक में प्रतिभाग करने वाले राज्य के पहले खिलाड़ी बन गए हैं
  • दिन का खाना न खाकर सीधे बैडमिंटन का करते थे अभ्यास

देहरादून। पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मनोज सरकार उत्तराखंड से टोक्यो ओलंपिक में प्रतिभाग करने वाले राज्य के पहले खिलाड़ी बन गए हैं। टोक्यो ओलंपिक में मनोज सरकार पैरा बैडमिंटन की एसएल-3 एकल कैटेगरी में खेलेंगे। लेकिन मनोज को यह मुकाम आसानी से नहीं बल्कि बेहद संघर्षों के बाद हासिल हुआ है।

मनोज को चंदे से जुटाए रुपयों से प्रतिभाग करना पड़ा था

आर्थिक तंगी के चलते मनोज को बचपन में साइकिल में पंचर जोड़ने, खेतों में दिहाड़ी पर मटर तोड़ने और घरों में पीओपी के काम करने पड़े थे। दिलचस्प बात है कि होनहार खिलाड़ी को वर्ष 2012 में फ्रांस में हुई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में चंदे से जुटाए रुपयों से प्रतिभाग करना पड़ा था। रुद्रपुर से लखनऊ जाते समय दूरभाष पर की बातचीत में मनोज ने बताया कि बचपन के दिनों में किए गए संघर्ष को वह कभी नहीं भुला सकते हैं। उन्होंने आज जितना थोड़ा भी मुकाम हासिल किया है, वो संघर्षों की ही देन है। बचपन में दवा के ओवरडोज से उनके एक पैर ने काम करना बंद कर दिया था। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते वह अच्छे डॉक्टर से पांव का इलाज नहीं करा पाए थे। उनकी मां जमुना सरकार ने मजदूरी से जुटाए रुपयों से उनको बैडमिंटन खरीदकर दिया था।

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कईं बार लोग लंगड़ा कहकर भी चिढ़ाते थे

बचपन से ही उन्हें बैडमिंटन खेलने का शौक था। वह पहले अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेला करते थे। लेकिन उनकी शटल टूटने पर बच्चे उन्हें अपने साथ खेलने नहीं देते थे। जिसके बाद उन्होंने अपने से बड़ी उम्र के खिलाड़ियों के साथ खेलना शुरू किया। लेकिन पांव में कमजोरी के चलते उन्हें कईं बार लोग लंगड़ा कहकर भी चिढ़ाते थे। इससे परेशान होकर उन्होंने बैडमिंटन खेलने का विचार छोड़ दिया था। फिर टीवी में बैडमिंटन की वॉल प्रैक्टिस (दीवार में शटल को मारकर प्रैक्टिस) देखने के बाद उन्होंने घर पर ही अभ्यास शुरू किया था।

दिन का खाना न खाकर सीधे बैडमिंटन का करते थे अभ्यास

मनोज ने बताया कि एक समय में उन्होंने बैलगाड़ी से मिट्टी ढुलान करके 50 रुपये भी कमाए थे। वर्ष 2009 में हाईस्कूल के दौरान ट्यूशन पड़ने के बाद दिन का खाना न खाकर वह सीधे बैडमिंटन का अभ्यास करते थे। अभी तक वह 33 देशों में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं खेल चुके हैं। जबकि 47 मेडल अर्जित किए हैं। बताया कि वह ओलपिंक में अपने देश के लिए गोल्ड जीतने का पूरा प्रयास करेंगे। 

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