उत्तराखंड में 1 हजार बेटों पर 871 बेटियां, नीति आयोग ने जारी की रिपोर्ट

संक्षेप:

  • लिंगानुपात की ताजा रिपोर्ट चौंकाने वाली
  • हरियाणा के बाद उत्तराखंड की हालत सबसे दयनीय
  • नीति आयोग ने किया खुलासा

देहरादून: एक तरफ देश में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की मुहिम तेजी से चल रही है और दूसरी तरफ बेटियां लगातार घटती जा रही हैं। नीति आयोग द्वारा जारी की गई लिंगानुपात की ताजा रिपोर्ट चौंकाने वाली है।

जन्म के समय लिंगानुपात पर ध्यान दें तो पता चलता है कि हरियाणा के बाद उत्तराखंड की हालत सबसे दयनीय है। रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात में 53 अंकों की गिरावट दर्ज की गई, जबकि उत्तराखंड में 27 अंकों की। देश के 21 बड़े राज्यों में से 17 राज्यों में जन्म के समय लिंगानुपात में गिरावट पाई गई है।

नीति आयोग द्वारा जारी कई गई लिंगानुपात की रिपोर्ट में जन्म के समय लिंगानुपात मामले में 10 या उससे ज्यादा अंकों की गिरावट होने वाले राज्यों में से एक गुजरात में प्रति 1,000 पुरुषों पर 907 महिलाओं के अनुपात से गिरकर अब 854 हो गया है। यहां आधार वर्ष  2012-14 से संदर्भ वर्ष 2013-15  के बीच 53 अंक की गिरावट हुई।

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गुजरात के बाद हरियाणा दूसरे नंबर पर है। हरियाणा में 35 अंकों की गिरावट दर्ज हुई है। इसके बाद नंबर है राजस्थान का जहां 32 अंकों की गिरावट हुई है। उत्तराखंड चौथे नंबर पर है। देवभूमि में लिंगानुपात में 27 नंबरों की गिरावट हुई है। महाराष्ट्र में 18 , हिमाचल प्रदेश में 14 अंक, छत्तीसगढ़ 12 अंक और कर्नाटक  में 11 अंक की गिरावट दर्ज हुई है।

नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है कि उत्तराखंड में जन्म के समय लिंगानुपात (प्रति हजार बालकों पर बालिकाओं की संख्या) में 27 अंक की गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट में जन्म दर को आधार बनाते हुए आधार वर्ष 2012-14 घोषित किया गया है। हालांकि जन्म दर से इतर जनगणना 2011 में किए गए विस्तृत सर्वे की बात करें तो 0-6 वर्ष तक की आयु में लिंगानुपात 886 था। जबकि, इस सर्वे के आधार वर्ष 2012-14 में यह संख्या 871 पर खिसक गई।

लिंगानुपात मामले में पंजाब, उप्र व बिहार में स्थिति सुधरी है। अपनी `हेल्दी स्टेट्स एंड प्रोग्रेसिव इंडिया` रिपोर्ट में नीति आयोग ने भ्रूण का लिंग परीक्षण कराकर होने वाले गर्भपात के सिलसिले को रोकने की जरूरत पर बल दिया है। उसने राज्यों से लिंग चयन गर्भपात की प्रवृति पर कड़ाई से रोक लगाने का आग्रह किया है। रिपोर्ट के अनुसार, जन्म के समय लिंगानुपात के मामले में जिन 17 राज्यों में दस या उससे अधिक अंकों की गिरावट दर्ज हुई है, उनमें गुजरात की हालत सबसे अधिक खराब है। इस राज्य में पहले एक हजार लड़कों पर 907 लड़कियां पैदा होती थीं, लेकिन अब यह आंकड़ा गिरकर 854 लड़कियों का रह गया है।

उत्तराखंड में जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) में 27 अंक और हिमाचल प्रदेश में 14 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है। राजस्थान की एसआरबी भी 32 अंक गिरी है। रिपोर्ट के अनुसार, `यह जरूरी हो गया है कि राज्य प्री कॉन्सेप्शन एंड प्री नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक एक्ट (गर्भाधान पूर्व और प्रसूति पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम) 1994 को सख्ती से लागू करें और लड़कियों के महत्व के बारे में जागरुकता के लिए प्रभावी कदम उठाएं।

लिंगानुपात या लिंग का अनुपात किसी क्षेत्र विशेष में पुरुष एवं महिला की संख्या के अनुपात को कहते हैं। प्राय: किसी भौगोलिक क्षेत्र में प्रति एक हजार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या को इसका मानक माना जाता है। जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) एक महत्वपूर्ण सूचकांक है। इससे यह पता चलता है कि कन्या भ्रूण हत्या यानी लिंग चयन गर्भपात कराने के चलन में कितनी कमी आई है।

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