जानिए कौन है वो वफादार सेवादार जिसके हवाले संपत्ति करके गए भय्यू जी महाराज?

संक्षेप:

  • भय्यूजी महाराज का हुआ अंतिम संस्कार
  • बेटी कुहू ने उन्‍हें दी मुखाग्नि
  • विनायक संभालेंगे भय्यूजी महाराज की संपत्ति की जिम्मेदारी

मंगलवार को गोली मारकर आत्महत्या कर लेने वाले आध्‍यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज का पार्थिव शरीर बुधवार को पंचतत्‍व में विलीन हो गया. बेटी कुहू ने उन्‍हें मुखाग्नि दी. भय्यूजी महाराज के अं‍तिम सफर में उनके परिवार वालों के साथ ही हजारों समर्थकों का काफिला नजर आया.

भय्यूजी महाराज का दोपहर 3 बजे के बाद उन्‍‍‍‍‍हीं के आश्रम सूर्योदय में अंतिम संस्कार किया गया. उनके अंतिम संस्‍कार में कोई भी वीआईपी नहीं पहुंचा. अंतिम संस्‍कार से पहले भय्यूजी महाराज का पार्थिव शरीर उनके इंदौर स्थित आश्रम में रखा गया था. भय्यूजी महाराज की मौत से उनके परिवार के साथ ही उनके अनुयायी भी सकते में हैं.

वहीं भय्यूजी महाराज ने दुनिया को अलविदा कहने के पहले पॉकेट डायरी में सुसाइड नोट भी छोड़ा है. इस सुसाइड नोट के दूसरे पन्‍ने में अपने आश्रम, प्रॉपर्टी और वित्‍तीय शक्‍तियों की सारी जिम्‍मेदारी अपने वफादार सेवादार विनायक को दी है.

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सुसाइड नोट का वो दूसरा हिस्सा जो अब दुनिया के सामने आया है. इस हिस्से में भय्यू जी महाराज ने लिखा हैं, `विनायक मेरा विश्वासपात्र है. मेरे फाइनेंस, प्रॉपर्टी और बैंक अकाउंट की सारी जिम्मेदारी विनायक की होगी. यह किसी प्रेशर में आकर नहीं लिख रहा हूं.`

विनायक मूलतः महाराष्ट्र के अहमदनगर के रहने वाले हैं. बताते हैं कि विनायक करीब दो दशक पहले महाराष्ट्र से इंदौर आए थे. कुछ दिन इंदौर में गुजारने के बाद वह महाराष्ट्र से जुड़े और इंदौर में रहने वाले रसूखदार लोगों की मदद से भय्यूजी महाराज के साथ जुड़ गए. वक्त गुजरने के साथ विनायक ने काम करने के तरीके और सादगी से भय्यूजी महाराज का विश्वास जीत लिया.

विनायक कुछ ही बरसों में भय्यूजी महाराज के सबसे भरोसेमंद लोगों में शामिल हो गए. दरअसल, विनायक के पहले एक अन्य व्यक्ति उनकी सारी जरूरतों का ख्याल रखता था. शादी के बाद उसने महाराज से दूरी बनाई तो भय्यूजी महाराज ने विनायक को सारी जिम्मेदारी सौंप दी.

विनायक पर दिवंगत भय्यूजी महाराज को इतना भरोसा था कि उनकी जिंदगी से जुड़ी हर बात विनायक को पता होती थी. उनके हर फैसले में विनायक सहभागी होते थे. महाराज भी उनकी बात का आदर करते थे. भय्यूजी महाराज को बेहद नजदीक से जानने वाले लोग बताते हैं कि उनके निवेश की बात हो या किसी को आर्थिक मदद दिए जाने की, किसी प्रोजेक्ट पर खर्च होने वाली राशि हो या फिर दान में मिलने वाली राशि, विनायक ही अकेले शख्स हैं, जिन्हें हर बात की जानकारी होती थी.

पहली पत्नी माधवी की मौत के बाद बेटी कुहू की जरूरतों का ख्याल भी विनायक ही रखते थे. कुहू पुणे में रहकर पढ़ाई कर रही है. ऐसे में वहां उसे किसी तरह की कोई दिक्कत न हो इसके लिए भी भय्यूजी महाराज ने विनायक को जवाबदारी सौंप रखी थी.

महाराज को विनायक पर इतना भरोसा था कि उन्हें आने वाले सारे फोन भी पहले वह ही अटेंड करते थे. इसके बाद ही भय्यूजी से बात हो सकती थी. हालांकि, पारिवारिक तनाव की वजह से पिछले दो-तीन दिन से वह फोन पर खुद ही डायरेक्ट बात कर रहे थे.

गौरतलब है कि भय्यूजी ने मंगलवार को खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. मौके से मिले सुसाइड नोट में भय्यूजी ने तनाव के चलते आत्महत्या करने का जिक्र किया था. उनके सुसाइड करने के वक्त घर में बुजुर्ग मां के अलावा विनायक भी मौजूद थे.

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