नई टिहरी में गहराता जा रहा जलसंकट, लोगों को हो रही परेशानी

संक्षेप:

  • साल 1990 में बसाया गया नई टिहरी शहर
  • बिल्डिंग खड़ी होने के चलते पाइपलाइन नीचे दब गई
  • लोगों को नहीं मिल रहा पीने का पानी

नई टिहरी में रहने वाले लोगों  के लिए तमाम तरह की योजनाएं बनाई गई, लेकिन सरकार की अनदेखी के चलते वह योजनाए जमीनी स्तर पर नहीं दिखाई दे सकती। भले ही सरकार ने नई टिहरी को चंडीगढ़ के मास्टर प्लान के तहत बसाया हो, आज भी वहा लोग कई परेशानियों से गुजर रहे है। आपको बता दें कि पुरानी टिहरी के टिहरी डैम की झील में डूबने के बाद 1983 से नई टिहरी शहर को आधुनिक मास्टर प्लान के तहत बसाने का कार्य शुरू हुआ था और साल 1990 में नई टिहरी शहर को बसाने का काम पूरा हुआ।

योजनाओं के तहत बिजली और पानी की लाइनें भूमिगत की गई और शहरवासियों की सुविधाओं के अनुसार सड़कों का भी निर्माण हुआ। शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए भैंतोगी से नई टिहरी तक बड़ी पाइपलाइन बिछाई गई। जिसे कई जगहों पर भूमिगत किया गया और एलायमेंट करते हुए बड़े टैंक तक पहुंचाई गई। आबादी बढ़ने के साथ ही बड़ी पेयजल लाइन के ऊपर ही कई निर्माण कार्य कर दिए गए। इतना ही नहीं पाइपलाइन के ऊपर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग खड़ी कर दी गई हैं। जिससे पाइपलाइन बिल्डिंग्स के नीचे दब गई हैं।

छोटी सी खराबी से भी नई टिहरी शहरवासियों को दो बूंद पीने का पानी नहीं मिल पाता है और भविष्य में ये स्थिति और भयावह हो सकती है। मास्टर प्लान के तहत नई टिहरी शहर बसाने के लिए 1100 हेक्टेयर भूमि एक्वायर की जानी थी, लेकिन योजनाकारों की भूल और शहर बसाते समय हुई राजनीति के फलस्वरूप सिर्फ 400 हेक्टेयर भूमि पर ही पूरा शहर सिमट कर रह गया। अत्याधिक भीड़भाड़ होने के चलते आज मास्टर प्लान की धज्जियां उड़ गई है, जो की भविष्य के लिए खतरे का संकेत हैं।

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