नागरिकता संशोधन बिल: अमित शाह ने बताया मुस्लिम क्यों नहीं शामिल, 10 बड़ी बातें

संक्षेप:

  • नागरिकता संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किया गया है.
  • शाह ने कहा- नागरिकता संशोधन विधेयक संविधान के किसी भी आर्टिकल को आहत नहीं करता है, इसमें अनुच्छेद 11 और अनुच्छेद 14 का कोई भी उल्लंघन नहीं किया गया है.
  • अगर समानता की बात हो रही है तो अल्पसंख्यकों के लिए विशेष अधिकार कैसे होंगे? वहां समानता का कानून लागू क्यों नहीं होता है?

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किया गया है. गृहमंत्री अमित शाह ने इस बिल को भारी हंगामे के बीच लोकसभा में पेश किया. उन्होंने बिल पेश करने के बाद कहा कि ये बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के लिए अन्य देशों के संविधान को भी देखना होगा.

जानिए नागरिकता संशोधन विधेयक पर अमित शाह की 10 बड़ी बातें

1. नागरिकता संशोधन विधेयक संविधान के किसी भी आर्टिकल को आहत नहीं करता है, इसमें अनुच्छेद 11 और अनुच्छेद 14 का कोई भी उल्लंघन नहीं किया गया है.
2. अगर समानता की बात हो रही है तो अल्पसंख्यकों के लिए विशेष अधिकार कैसे होंगे? वहां समानता का कानून लागू क्यों नहीं होता है?
3. इस बिल में भारत की जमीनी सीमाओं से सटे हुए तीन देश- अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान शामिल हैं.
4.1950 में नेहरू लियाकत समझौता हुआ, तब भारत और पाकिस्तान में समझौता हुआ, जिसमें अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का जिक्र हुआ.
5. धार्मिक प्रताड़ना के कारण हिंदू, सिख, जैन सहित कई अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर अत्याचार हुआ.
6. हमारे एक्ट के मुताबिक कोई भी आवेदन कर सकता है, सभी को नागरिकता मिलेगी.
7. कांग्रेस पार्टी ने देश के बंटवारे के वक्त धर्म के आधार पर विभाजन किया, हमने नहीं किया. इसीलिए इस बिल की जरूरत पड़ रही है.
8. अगर कोई मुस्लिम भी भारत में नागरिकता के लिए आवेदन करेगा तो उस पर भी विचार किया जाएगा.
9. मुस्लिमों को इस विधेयक में शामिल इसलिए नहीं किया गया है क्योंकि वो इन देशों में धार्मिक प्रताड़ना का शिकार नहीं हुए हैं
10. दुनियाभर के संविधानों में नागरिकता लेने का अधिकार है. वहां ग्रीन कार्ड कई आधारों पर दिया जाता है. इससे असमानता विकसित नहीं होती है.

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पड़ोसी देशों में मुसलमानों पर नहीं होती धार्मिक प्रताड़ना

शाह ने कहा कि पड़ोसी देशों में मुसलमानों (Muslims) के खिलाफ धार्मिक प्रताड़ना (Religious Persecution) नहीं होती है. इसलिए इस बिल का फायदा उन्हें नहीं मिलेगा. अगर ऐसा हुआ तो यह देश उन्हें भी इसका फायदा देने पर विचार करेगा. साथ ही दावा किया कि यह बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है. विपक्ष ने कहा कि ऐसे बिल पर सदन में चर्चा हो ही नहीं सकती. कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने कहा कि संसद को ऐसे विधेयक पर चर्चा का अधिकार नहीं है. यह भारतीय गणतंत्र के मूलभूत मूल्यों का उल्लंघन है. क्या हमारी राष्ट्रीयता का निर्णय धर्म के आधार पर होगा? यह संविधान की प्रस्तावना का भी उल्लंघन करता है.

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