कोर्ट: सोशल मीडिया की रिपोर्टिंग सनसनीखेज़ होती है

संक्षेप:

  • कोर्ट ने कहा सोशल मीडिया रिपोर्टिंग है सनसनीखेज
  • मीडिया कवरेज के लिए गाइडलाइन बनाना संभव नहीं है
  • अदालत ने दिल्ली दंगा आरोपियों की शिकायत पर सुनवाई की
     
     

दिल्ली | दिल्ली दंगा आरोपियों की शिकायत पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया पर होने वाली मीडिया रिपोर्टिंग अक्सर सनसनीखेज होती है. आरोपियों ने कहा था कि उनके खिलाफ अभी भी मीडिया ट्रायल जारी है। अदालत ने कहा कि मीडिया को रिपोर्टिंग का अधिकार है लेकिन उसे अपने नजरिये में सतर्क व तार्किक रहना चाहिए। मामले की निष्पक्ष व स्वतंत्र जांच और सुनवाई आरोपियों का मौलिक अधिकार है।

बता दें, कड़कड़डूमा जिला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने तल्ख लहजे में कहा कि आरोपी व दोषी होने में बुनियादी अंतर है। पुलिस को पूरी तरह पक्षपाती दिखाने या आरोपी को दोषी के रूप में प्रदर्शित करना सही नहीं है। इससे आपराधिक न्याय प्रणाली प्रभावित होती है।
अदालत ने कहा उसका मानना है कि मीडिया कवरेज के लिए गाइडलाइन बनाना संभव नहीं है लेकिन हमारा मानना है कि रिपोर्टिंग करते समय कोर्ट का आदेश लिखने के स्थान पर सदैव घोषणा होनी चाहिए कि समाचार में प्रकाशित या प्रसारित वर्जन आरोपी या अभियोजन में से किसका है।

अदालत ने नाराजगी जाहिर करते हुए कि कोर्ट के संज्ञान लेने से पहले या आरोपियों को कॉपी मिलने से पहले आरोपपत्र की सामग्री को हूबहू रिपोर्ट करना भी पक्षपातपूर्ण तथा अनुचित है। यह प्रचलन काफी परेशान करने वाला है। आरोपपत्र के विषय में रिपोर्टिंग करना एक बात है लेकिन उसकी सामग्री हूबहू छाप देना बिल्कुल अलग व दूसरी बात है। यहां पर मीडिया में लीक होने का सवाल खड़ा होता है।

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यह प्रचलन पूरी तरह पक्षपातपूर्ण तथा अनुचित है। अदालत उम्मीद करती है कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा।
बचाव पक्ष के वकील ने ये कहा कि पुलिस की जांच निष्पक्ष नहीं थी। एक वीडियो में पुलिकर्मी सीसीटीवी तोड़ते दिख रहे हैं लेकिन इस पहलू की कोई जांच नहीं की गई। उन्होंने सभी पहलुओं की पुलिस जांच का निर्देश देने का आग्रह किया।


वहीं इसका विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस की ओर से विशेष अधिवक्ता अमित प्रसाद ने कहा कि पुलिस जांच कैसे होनी चाहिए, आरोपी इसका निर्देश नहीं दे सकता। उन्होंने कहा ऐसे भी कई संस्थान हैं जो पुलिस तथा जांच के खिलाफ अलग ही रिपोर्टिंग कर रहे हैं। उससे संबंधित साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं।
 

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