अच्छी खबर: डॉक्टरों ने खोज निकाला डेंगू-चिकनगुनिया का इलाज, इस बैक्टीरिया से करेंगे ठीक

संक्षेप:

  • डेंगू और चिकनगुनिया जैसे रोगों के संक्रमण पर काबू पाने के लिए एक कारगर तरकीब खोज निकालने का दावा किया है.
  • इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वैज्ञानिकों के मुताबिक, उन्होंने डेंगू और चिकनगुनिया के संक्रमण को नियंत्रित करने वाला हथियार खोज लिया है और ये नया तोड़ है- एक बैक्टीरिया.
  • बैक्टीरिया वॉलबाकिया डेंगू जैसे संक्रमण का तोड़ साबित होता हुआ दिख रहा है.

नई दिल्ली: डेंगू और चिकनगुनिया जैसे रोगों के संक्रमण पर काबू पाने के लिए एक कारगर तरकीब खोज निकालने का दावा किया है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर आगे के प्रयोग सफल रहे, तो ऐसे जानलेवा रोगों पर काबू पा लिया जाएगा. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वैज्ञानिकों के मुताबिक, उन्होंने डेंगू और चिकनगुनिया के संक्रमण को नियंत्रित करने वाला हथियार खोज लिया है और ये नया तोड़ है- एक बैक्टीरिया. इस बैक्टीरिया की मदद ये बीमारियां फैलाने वाले रोगाणुओं का असर खत्म किया जा सकेगा. ये सब कैसे मुमकिन होगा और क्या है ये बैक्टीरिया? आइए समझते हैं.

ICMR के शोधकर्ता ने निकाला डेंगू का तोड़

पिछले साल से ICMR के शोधकर्ता डेंगू और चिकनगुनिया जैसे संक्रमण फैलाने वाले मच्छरों पर अध्ययन कर रहे थे. शोधकर्ताओं ने डेंगू के विषाणु फैलाने वाले मच्छर एडीज़ एजिप्टाई के स्ट्रेन विकसित किए जिसमें से कुदरती तौर पर पैदा होने वाले एक बैक्टीरिया वॉलबाकिया के बारे में जानकारी मिली. ये बैक्टीरिया वॉलबाकिया डेंगू जैसे संक्रमण का तोड़ साबित होता हुआ दिख रहा है.

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रिसर्च पूरी हुई अब फील्ड ट्रायल का इंतज़ार

वॉलबाकिया वायरल इन्फेक्शन यानी विषाणुओं से फैलने वाले संक्रमण को रोकता है, इसका मतलब आसान लफ्ज़ों में ये हुआ कि अगर इस बैक्टीरिया की मदद ली जाए, तो मच्छर के काटने का पता तो चलेगा लेकिन आपको डेंगू नहीं होगा. ICMR की वैज्ञानिक मंजू राही के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस की खबर में ये बात कही गई है कि `ये बैक्टीरिया मच्छर के अंदर डेंगू के विषाणु को पनपने नहीं देता इसलिए ऐसे में मच्छर के काटने से संक्रमण नहीं होगा`. ये रिसर्च ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर पुडुचेरी स्थित वेक्टर कंट्रोल रिसर्च सेंटर में हुई और वीसीआरसी में ही मच्छर का यह रूपांतरण यानी वैरिएंट खोजा गया है इसलिए इसे पुडुचेरी स्ट्रेन नाम दिया गया है. ICMR के डीजी डॉ. बलराम भार्गव के हवाले से कहा गया है कि तैयारियां हो चुकी हैं और फील्ड ट्रायल अगले कुछ महीनों, शायद अक्टूबर, में शुरू कर दिए जाएंगे. इस स्ट्रेन की मदद से देश में डेंगू के मामले कम होने की पूरी संभावना है.

 

पहले डेंगू के बारे में जानें

जीनस एडीज़ प्रजाति के कई मच्छर डेंगू का संक्रमण फैलाते हैं और इस बीमारी के प्रमुख लक्षण तेज़ बुखार, तेज़ सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द और त्वचा पर रैशेज़ के रूप में देखे जाते हैं. टाइप टू या चार में मरीज़ की हालत बेहद नाज़ुक होती है और उसे अस्पताल में निगरानी में दाखिल करने की ज़रूरत होती है. संक्रमण ज़्यादा या गंभीर रूप से फैल जाने पर ये रोग जानलेवा भी हो सकता है.

अब समझें संक्रमण कैसे रोकेगा वॉलबाकिया

वॉलबाकिया नामक बैक्टीरिया 60 फीसदी कीट प्रजातियों में कुदरती तौर पर पाया जाता है, जो मनुष्यों, जीवों और पौधों के लिए सुरक्षित है. ये बैक्टीरिया डेंगू के वायरस को मच्छर में पनपने से रोकता है. दुनिया भर में सालों से इस बैक्टीरिया को लेकर अध्ययन हो रहे थे और जारी भी हैं. अब इस बैक्टीरिया की मदद से लड़ने की चुनौती सामने है. ये जानना भी दिलचस्प है कि इस बैक्टीरिया के ज़रिए मच्छरों से डेंगू के वायरस कैसे मिटाए जाएंगे और लोगों को कैसे बचाया जाएगा.

मच्छरों की आबादी बदल दी जाएगी

डॉ. राही के हवाले से कहा गया है कि वॉलबाकिया बैक्टीरिया युक्त मच्छरों के अंडों को पुडुचेरी के वीसीआरसी में लाया गया था. इन मच्छरों को भारतीय मच्छरों के साथ प्रजनन करवाया गया जिससे एक नया स्ट्रेन विकसित हुआ, जिसे पुडुचेरी स्ट्रेन नाम दिया गया. अब इन मच्छरों के लिए कुछ मंज़ूरियां बाकी हैं, उसके बाद फील्ड ट्रायल किया जाएगा. देश के मच्छरों की आबादी को इन बैक्टीरिया वाले मच्छरों से बदलने की रणनीति अपनाई जाएगी. वॉलबाकिया युक्त मच्छरों की आबादी धीरे धीरे बढ़ेगी और डेंगू के वायरस वाले मच्छरों की आबादी घटेगी. यानी डेंगू पर पूरी तरह काबू पाने की ये प्रक्रिया कुदरती तौर पर लंबी होगी. यहां ये भी गौरतलब है कि लोकसभा में एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय के डेटा से बताया गया कि इस साल 9 जून तक देश में डेंगू के 6210 मामले सामने आए, जिनमें छह मौतें भी शामिल हैं.

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